फ्रांस के ग्रासे की तरह देश-दुनिया में महकेगा कन्नौज, यहां बनेगा पहला इत्र विश्वविद्यालय Kannauj News
सांसद ने एफएफडीसी को अरोमा टेक्नो इंडस्ट्रियल यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी को सौंपा है।
कन्नौज, [प्रशांत कुमार]। दुनिया भर में सुगंध के लिए फ्रांस का ग्रासे शहर और भारत में कन्नौज की अलग पहचान है। कन्नौज की इस पहचान को और बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो इत्र नगरी को जल्द ही देश के पहले इत्र विश्वविद्यालय की सौगात मिलेगी।
ग्रासे से क्यों अलग है कन्नौज
यूं तो फ्रांस का ग्रासे शहर विश्व में सुगंध की राजधानी के रूप में मशहूर है मगर, वहां से ज्यादा संभावनाएं कन्नौज में हैं। वहां से अधिक यहां क्षेत्रफल है। ग्रासे में सिर्फ एसेंशियल ऑयल बनता है जबकि कन्नौज में अतर, इत्र और एसेंशियल ऑयल तीनों ही बनते हैं। उद्यमी बताते हैं कि विदेशी हमसे माल खरीदकर नई तकनीकी का प्रयोग कर एक नया प्रोडक्ट बनाकर दुनिया भर में बेचते हैं। यहां विश्वविद्यालय बनता है तो रिसर्च से हमें भी तकनीक मिलेगी।
इत्र और अतर के लिए जाना जाता कन्नौज
कन्नौज दुनिया में इत्र और अतर के लिए जाना जाता है। इसके बावजूद यहां कोई विश्वविद्यालय या रिसर्च सेंटर नहीं है। उद्यमी आज भी यहां सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ही इत्र तैयार कर रहे हैं। इत्र कारोबार को आगे बढ़ाने और रिसर्च को बढ़ाने के लिए सांसद सुब्रत पाठक ने एफएफडीसी को ही अरोमा टेक्नो इंडस्ट्रियल यूनिवर्सिटी बनाने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है। सांसद ने बताया कि प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा है। प्रधानमंत्री इसको लेकर संवेदनशील हैं और पीएमओ इस संबंध में कार्य कर रहा है। उम्मीद है कि कन्नौज को जल्द ही एक इत्र विश्वद्यिालय की सौगात मिलेगी।
क्या है एफएफडीसी का इतिहास
वर्ष 1991 से सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) •िाले में संचालित है। यह संस्था यूएनआइडीओ, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से स्थापित है। यहां इत्र से संबंधित सभी आयाम जैसे सुगंधित पौधे, प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण सलाहकार संबंधित कार्य किए जाते हैं। एफएफडीसी करीब 28 एकड़ में फैला है।
किसानों की आय होगी दोगुनी
विश्वविद्यालय बनने पर इत्र उद्योग को न केवल गति मिलेगी बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी होगी। द अतर्स एंड परफ्यूमर्स एसोसिएशन के महासचिव पवन त्रिवेदी कहते हैं अभी तक हमें अतर का बेस नहीं मिल सका है। विश्वविद्यालय बनने से निश्चित तौर पर ऐसे शोध होंगे। उद्योग को नई राह मिलेगी। एफएफडीसी के प्रधान निदेशक शक्ति विनय शुक्ला कहते हैं कि एफएफडीसी के विश्वविद्यालय बनने से हम तकनीकी तौर पर प्रशिक्षित होंगे। नए शोध होंगे जो इत्र उद्योग को आगे बढ़ाएंगे।
ये होगा लाभ
- अरोमा इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को डिग्रियां मिलेंगी।
- रिसर्च और डेवलपमेंट का काम होगा।
- अरोमा से संबंधित सेमिनार, वर्कशॉप होंगी।
- किसानों को अरोमा इंडस्ट्री से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी।