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सीएसजेएम यूनीवर्सिटी में तैयार हो रहा स्टूडियो, अब मिलेगी ब्लाकचेन आधारित डिग्री

कानपुर में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में आनलाइन लेक्चर सुविधा के लिए स्टूडियो तैयार हो रहा है शिक्षक अपने लेक्चर की वीडियो रिकार्डिंग भी करा सकेंगे। साथ ही आइआइटी के सहयोग से ब्लाकचेन आधारित डिजिटल डिग्री जारी करने की भी तैयारी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 09:51 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 09:51 AM (IST)
सीएसजेएम यूनीवर्सिटी में तैयार हो रहा स्टूडियो, अब मिलेगी ब्लाकचेन आधारित डिग्री
कानपुर में विश्वविद्यालय में होगी डिजिटीकरण व्यवस्था।

कानपुर, जागरण संवाददाता। सीएसजेएमयू के छात्र छात्राओं को आनलाइन लेक्चर की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में हाईटेक स्टूडियो तैयार किया जा रहा है। जल्द ही यहां विवि के तमाम फैकल्टी और अतिथि प्रवक्ता अपने लेक्चर रिकार्ड करेंगे। इन लेक्चर को छात्र-छात्राएं आनलाइन देख सकेंगे।

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विवि के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में स्टूडियो की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही थी ताकि टीवी जर्नलिज्म के क्षेत्र में जाने वाले विद्यार्थियों को स्टूडियो की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने पिछले वर्ष इस स्टूडियो के निर्माण की योजना बनाई। अब स्टूडियो अत्याधुनिक रूप में तैयार किया जा रहा है। खास बात ये है कि इस स्टूडियो का लाभ विवि के सभी छात्र-छात्राओं को मिल सकेगा। इसकी मदद से शिक्षक अपने लेक्चर की वीडियो रिकार्डिंग भी करा सकेंगे और विवि के विभिन्न कोर्सों के विद्यार्थियों को ये लेक्चर पोर्टल पर उपलब्ध करवाए जाएंगे। छात्र-छात्राएं आनलाइन ही पोर्टल पर लेक्चर देख सकेंगे। पीएचडी के छात्रों को अभी इसी विधि से लेक्चर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। कुलपति ने बताया कि विभिन्न महाविद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षकों के साथ ही अतिथि व्याख्याताओं के भी लेक्चर रिकार्ड कराकर विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।

आइआइटी के सहयोग से ब्लाकचेन आधारित डिग्री : आइआइटी के सहयोग से सीएसजेएमयू ने भी ब्लाकचेन तकनीकी पर आधारित डिजिटल डिग्री जारी कराने की योजना बनाई है। इससे पूर्व आइआइटी ने अपने दीक्षा समारोह में इस तकनीकी से डिग्री जारी कराई थीं। प्रधानमंत्री ने इसका शुभारंभ किया था। दरअसल, नेशनल ब्लाकचेन प्रोजेक्ट के तहत विकसित ब्लाकचेन संचालित तकनीकी से जारी होने वाली डिजिटल डिग्री विश्व स्तर पर सत्यापित की जा सकती हैं। कुछ राज्यों में भूमि अभिलेखों को लागू करने के लिए भी इसी तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है।


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