कानपुर में 24 साल से कैद Ganga मइया को है मुक्ति का इंतजार Kanpur News
सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस के स्टोर रूम से अबतक बाहर गंगा मइया नहीं आ सकी हैं।
कानपुर। गंगा मैया मोक्षदायिनी हैैं। सब उन्हीं के तारे तरते हैैं। लेकिन, उनकी ही मुक्ति फंस जाए तो? कानपुर में ऐसी ही उल्टी गंगा बहाई जा रही है। यहां पर बीते 24 साल से कैद गंगा मइया मुक्ति के इंतजार में हैं। यह तब है जब सरकार, शासन और प्रशासन गंगा के निर्मल और अविरल प्रवाह के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है।
जानिए, क्या है पूरा मामला
24 बरस पहले कानपुर से उन्नाव होते हुए लखनऊ को जोडऩे वाले गंगा बैराज का शिलांयास हुआ तो गंगा प्रतिमा भी लाई गई। इस प्रतिमा को गंगा किनारे स्थापित किया जाना था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती एक सितंबर 1995 को गंगा बैराज पुल का शिलांयास किया और वर्ष 2000 में इसे शुरू किया जा सका। लेकिन प्रतिमा की स्थापना नहीं हो सकी। गंगा मइया की प्रतिमा सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस के स्टोर रूम में रखी रही, जो आज तक बाहर नहीं आ सकी है। 11 मई 2005 को तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव ने भी गंगा बैराज के पास ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा लगवा दी, लेकिन...। अब 14 दिसंबर को गंगा का जायजा लेने प्रधानमंत्री आ रहे हैैं। क्या गंगा मइया को अब मुुक्ति मिल सकेगी?