ढाई साल से स्टेशन मास्टर ने ट्रेन को नहीं दिखाई हरी झंडी, 2005 के बाद से बंद हो गया था ट्रेन संचालन
जहां रेल लाइन का आमान परिवर्तन हो चुका है। रेल ट्रैक और इलेक्ट्रिफिकेशन लाइन का सीआरएस (कमीशन आफ रेल सिक्योरिटी) सर्वे भी हो चुका है। रेलवे स्टेशन भी अपनी भव्यता कहानी बयां कर रहा है लेकिन न तो ट्रेन आती है और न ही यात्री।
कानपुर(आलोक शर्मा)। स्टेशन मास्टर का काम ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर आगे रवाना करना होता है लेकिन सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे कि एक स्टेशन मास्टर ऐसे हैैं जिन्होंने बीते ढाई साल से किसी ट्रेन को हरी झंडी नहीं दिखाई। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके स्टेशन पर ट्रेन ही नहीं आती है। हम बात कर रहे हैं कानपुर के बिठूर रेलवे स्टेशन की, जहां रेल लाइन का आमान परिवर्तन हो चुका है। रेल ट्रैक और इलेक्ट्रिफिकेशन लाइन का सीआरएस (कमीशन आफ रेल सिक्योरिटी) सर्वे भी हो चुका है। रेलवे स्टेशन भी अपनी भव्यता कहानी बयां कर रहा है लेकिन न तो ट्रेन आती है और न ही यात्री।
मार्च 2019 में तैनात किए गए थे स्टेशन मास्टर : फरवरी 2019 में स्टेशन की शुरूआत हो गई थी। मार्च 2019 को स्टेशन मास्टर कमलेश कुमार को यहां तैनात किया गया। उनके साथ एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है जो गेटमैन का भी कार्य करता है। परेशान स्टेशन मास्टर कहते हैैं बिना ट्रेन के स्टेशन मास्टर किस काम का।
आजादी से पहले सीतापुर जाती थी ट्रेन : आजादी से पहले बिठूर से ट्रेन सीतापुर जाती थी। श्री ब्रह्मावर्त बिठूर विकास एवं जनकल्याण समिति के अध्यक्ष सूबेदार पांडेय बताते हैं कि ट्रेन की शुरूआत 10 नवंबर 1886 से हुई थी, जो आजादी के बाद भी चली। 1957 में यहां से लखनऊ और कन्नौज के लिए डीजल इंजन ट्रेन चलने लगी थीं।
क्षेत्रीय लोगों की मांग पर आमान परिवर्तन हुआ : बिठूर के विकास के लिए काम कर रही समिति लगातार ट्रेन शुरू करने की मांग कर रही थी। चूंकि वर्ष 2000 में कासगंज लाइन का आमान परिवर्तन करने का निर्णय लिया जा चुका था इसलिए 2014 में बिठूर लाइन का अमान परिवर्तन करने का आदेश भी रेलवे बोर्ड ने कर दिया। दिसंबर 2015 में यहां आमान परिवर्तन शुरू हुआ जिसका काम तीन साल में पूरा कर लिया गया। फरवरी 2019 में ट्रैक का सीआरएस सर्वे हुआ जबकि 11 मार्च 2019 को इलेक्ट्रिफिकेशन का भी सीआरएस सर्वे पूरा हुआ।
हर माह खर्च हो रहे एक लाख : बिठूर स्टेशन पर स्टेशन मास्टर और एक गेटमैन तैनात हैं। अधिकारियों के मुताबिक स्टेशन मास्टर का वेतन 60 हजार और गेटमैन का वेतन करीब 40 हजार है। इस हिसाब से प्रतिमाह एक लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।
इनका ये है कहना
- बिठूर से ट्रेन चलाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के पास है। यहां तक किसी ट्रेन को विस्तार दिया जाएगा या फिर सेंट्रल तक नई ट्रेन चलेगी इसका निर्णय बोर्ड करेगा। उम्मीद है कि जल्द ही इस पर कोई निर्णय होगा।- राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी इज्जत नगर मंडल