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कानपुर में सड़कों के गड्ढे से क्षतिग्रस्त हो रही रीढ़ की हड्डी, GSVM मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों ने दी जानकारी

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह का कहना है कि नियमित गड्ढे में वाहन लेकर गुजरने पर स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी की डिस्क पर दबाव पड़ता है। उसके कार्टिलेज यानी साफ्ट टिश्यू हड्डी की प्रोटेक्शन कवरिंग जो स्प्रिंग की तरह काम करती है।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 05:14 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:14 PM (IST)
कानपुर में सड़कों के गड्ढे से क्षतिग्रस्त हो रही रीढ़ की हड्डी, GSVM मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों ने दी जानकारी
खराब सड़क की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर की गड्ढेयुक्त सड़कों पर नियमित दोपहिया एवं चौपहिया वाहन दौड़ाने वालों को गर्दन एवं कमर दर्द की समस्या हो रही है। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी से लेकर इमरजेंसी में बड़ी संख्या में गर्दन एवं कमर दर्द के मरीज होते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या नर्सिंग होम एवं डाक्टरों के निजी क्लीनिकों में ऐसी समस्या लेकर मरीज पहुंच रहे हैं।

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जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह का कहना है कि नियमित गड्ढे में वाहन लेकर गुजरने पर स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी की डिस्क पर दबाव पड़ता है। उसके कार्टिलेज यानी साफ्ट टिश्यू, हड्डी की प्रोटेक्शन कवरिंग, जो स्प्रिंग की तरह काम करती है, बार-बार झटके लगने से क्षतिग्रस्त होने लगती है। इस वजह से रीढ़ की हड्डी के जोड़ के लिगामेंट, ज्वाइंट व कवरिंग क्षतिग्रस्त होने से वहां से निकलने वाली महीन नसें जो दिमाग तक जाती हैं। इसकी वजह से कमर दर्द, गर्दन दर्द, हाथ-पैर में कमजोरी, झन्नाहट और सुन्नपन की समस्या होती है। युवावस्था में आराम करने से ठीक हो जाती है। उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द, कमर में दर्द और स्पाइन की डिस्क प्रोलेप्स का खतरा बढ़ जाता है। इस वजह से नियमित कमर दर्द बना रहता है।

लगातार चलने से गंभीर हो जाती समस्या: डा. सिंह का कहना है कि लगातार खराब सड़कों पर चलने और झटके लगने से रीढ़ की हड्डी से होेकर गुजरने वाली नसों में दबाव बढ़ता जाता है। अधिक दबाव बढ़ने से मल एवं मूत्र त्याक पर नियंत्रण भी खत्म हाेता जाता है, जो गंभीर स्थिति का संकेत है। इससे राहत प्रदान के लिए डिस्क प्रोलेप्स की सर्जरी करनी पड़ती है।

अच्छी सड़कें बनें और समन्वय भी: ट्रामा सेंटर के नोडल अफसर एवं न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. मनीष सिंह का कहना है कि सरकार का पूरा फोकस जनता को बेहतर सड़क देना है। सड़कें बनती भी हैं, लेकिन एक-दूसरे विभाग में समन्वय नहीं होने से हर दूसरे-तीसरे माह में सड़कों की खोदाई हो जाती है। कभी नाली सफाई के नाम पर, कभी टेलीफोन का केबल तो कभी बिजली का केबल डालने के नाम पर सड़क खोद डाली जाती है। इस वजह से सड़कों पर गड्ढे बन जाते हैं। इस समस्या के निदान के लिए नगर निगम, टेलीफोन विभाग व बिजली विभाग समन्वय बनाकर कार्य करें। एक ही जगह बैठकर समस्याएं सुलझाएं। उसके बाद ही सड़क निर्माण कराएं, जिससे सड़कें बेहतर और लंबे समय तक चलें। ऐसा होने से सरकारी राजस्व की भी बचत होगी।

गर्दन व कमर दर्द के मरीज रोजाना आते

  • 1000-1500 पीड़ित : एलएलआर अस्पताल
  • 400-450 पीड़ित : उर्सला अस्पताल
  • 200-500 पीड़ित : कांशीराम अस्पताल
  • 100-125 पीड़ित : केपीएम अस्पताल
  • 2000-2500 पीड़ित : निजी अस्पतालों व निजी क्लीनिक

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