जुनून के लिए खत्म कर देते पूरी पाकेट मनी, ऐसी है उरई की अवंतिका और दोस्तों की टोली
उरई में रहने वाली विधि छात्रा अवंतिका ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों से कटोरा छीनकर कलम और किताबें थमा रहे हैं। साथियों की मदद से सौ से अधिक बच्चों को शिक्षा देने में पूरी पाकेट मनी खर्च कर रहे हैं।
जालौन, विमल पांडेय। जिन चिरागों को हवाओंं का कोई खौफ नहीं, उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाए, चलो आज किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए...निदा फाजली का यह शेर उरई शहर के इंदिरा नगर की रहने वाली विधि छात्रा अवंतिका तिवारी पर बिल्कुल सटीक बैठता है। अवंतिका और उनके दोस्त जूनून पूरा करने के लिए अपनी पूरी पाकेट मनी खत्म कर देते हैं। अब वे भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों से कटोरा छीनकर किताब और कलम थमा रहे हैं।
शहर के रामकुंड पार्क में दो साल पहले बच्चों के भीख मांगते देखकर अवंतिका का दिल पसीज गया और तय किया कि दिशाहीन हीन हो रहे इन बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जाए। इसके लिए अवंतिका ने मलिन बस्तियों के पांच बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया और उसके दोस्त भी साथ शामिल हो लिये।
शिक्षा की अलख जगाने के लिए शुरू किए गए इस अभियान में अवंतिका वर्तमान में सौ बच्चों की निश्शुल्क पाठशाला चला रही हैं। वह इन बच्चों को पढ़ाने के साथ ही निश्शुल्क शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध कराती हैं। 21 वर्षीय अवंतिका कहती हैं कि बच्चे पढ़ लिखकर समाज में अपना स्थान बनाएं, इसके लिए वह जरूरतमंद बच्चे चुनती हैं। मलिन बस्तियों के 20 बच्चे अब स्कूल की राह पकड़ चुके हैं। अवंतिका के पिता रविकरन तिवारी पेशे से ड्राइवर हैं जबकि मां स्नेहलता गृहणी हैं। अवंतिका दो बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी हैं। वह अपने इस अभियान के साथ भाई-बहनों को भी उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही हैं।
हमारी उम्मीद मिशन की रखी नींव : अवंतिका ने हाल ही में शैक्षिक उन्नयन के लिए अपनी एक संस्था हमारी उम्मीद मिशन की नींव रखी है। इस मिशन में उन्होंने 50 से अधिक छात्रों को जोड़ा है। ये सभी छात्र शहर की मलिन बस्तियों में जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
पाकेट मनी से उठाते हैं बच्चों की पढ़ाई का खर्च : अवंतिका और उनकी संस्था से जुड़े सभी साथी अपनी पाकेट मनी या घर से मिलने वाले धन का उपयोग इन बच्चों की पढ़ाई में करते हैं। जरूरतमंद बच्चों का स्कूल में दाखिला कराने से लेकर सारे खर्च टीम के सदस्य उठाते हैं। अवंतिका कहती हैं कि 10 से अधिक बच्चों की फीस और किताबों का खर्च एक लाख रुपये से अधिक आता है जिसे सभी सदस्य अपने पास से जुटाते हैं।
तीन बस्तियों में शिक्षा का उजियारा : अवंतिका ने शैक्षिक उन्नयन के लिए शहर की मलिन बस्ती मोदी ग्राउंड रामकुंड पार्क, बेरीबाबा को प्रमुख रूप से चुना है। इन तीनों स्थानों के कुल सौ बच्चे हैं। यह सारे बच्चे कभी सड़कों पर भीख मांगते थे लेकिन अब बच्चों में शिक्षा के प्रति ललक देखते ही बनती है।