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मच्छरजनित बीमारियों डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से बचाएंगे खास कपड़े

कपड़े आपको डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका, फाइलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे से बचाएंगे। इन कपड़ों को पहनने के बाद मच्छर आसपास नहीं फटकेंगे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 06:40 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 05:49 PM (IST)
मच्छरजनित बीमारियों डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से बचाएंगे खास कपड़े
मच्छरजनित बीमारियों डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से बचाएंगे खास कपड़े
कानपुर (शशांक शेखर भारद्वाज)। कपड़े आपको डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका, फाइलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे से बचाएंगे। इन कपड़ों को पहनने के बाद मच्छर आसपास नहीं फटकेंगे। उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (यूपीटीटीआइ) ऐसा कपड़ा तैयार कर रहा है, जो मच्छरों से बचाएंगे और मच्छरजनित रोगों की गिरफ्त में आने से रोकेंगे। तकनीक को कारगर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार इसमें आर्थिक सहयोग कर रही है। संस्थान का केमिस्ट्री विभाग इसको पूरा करने में जुट गया है। 
नीम, तुलसी, एलोवेरा का प्रयोग 
कपड़े तैयार करने के लिए प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग किया जाएगा। इसमें नीम, तुलसी, एलोवेरा समेत कई पेड़ पौधों की पत्तियों, छाल व रस को लिया जाएगा। कुछ अन्य आयुर्वेदिक तत्वों का घोल भी बनाया जाएगा। इन सभी की निश्चित तापमान और वायुदाब पर कपड़ों पर लेयङ्क्षरग की जाएगी। यह लेयरिंग कपड़ों के फाइबर (रेशों) पर होगी। 
मच्छरों के लार्वा पर होगा टेस्ट 
लैब में अलग-अलग मिश्रित घोल का केज (पिंजरा) तैयार किया जाएगा। इन पिंजरे में अलग-अलग मच्छरों के लार्वा टेस्ट किए जाएंगे। कौन सी केज में लार्वा उत्पन्न हो रहे हैं और कौन से नहीं इसका पता चल जाएगा। यह कितना असरकारक है, इसकी जानकारी भी मिल जाएगी। 
अधिक असरकारक बनाने की तैयारी 
विशेषज्ञों के मुताबिक इस हर्बल लेयरिंग को अधिक से अधिक असरकारक बनाने की तैयारी चल रही है। शुरूआत पांच धुलाई के असर से की जाएगी। इसे 20 धुलाई तक ले जाने की योजना है। कई टेक्सटाइल संस्थानों ने केमिकल्स युक्त लेयङ्क्षरग की, लेकिन उनके नकारात्मक प्रभाव सामने आए।  केमिकल्स के असर से दाने और खुजली की शिकायत हुई।  प्रदेश सरकार की ओर से दीनदयाल योजना के अंतर्गत सात लाख रुपये की ग्रांट मिली है। 
औद्योगिक इकाइयों से सहयोग 
केमिस्ट्री विभाग की प्रो. नीलू कांबो, अलका अली और कई शोधार्थी इस पर काम करेंगे।  औद्योगिक इकाइयों के सहयोग से कपड़ों में लेयरिंग की जाएगी। कुछ प्रयोग संस्थान की लेबोरेट्री में भी होंगे। रजिस्ट्रार यूपीटीटीआइ प्रो. आइपी मिश्रा ने कहा कि संस्थान की खोज और तकनीक से आमजन को काफी लाभ मिलेगा। मच्छरों से होने वाली बीमारियों को रोका जा सकेगा।

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