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बीमार पिता का इलाज कराने के लिए बन गया लुटेरा, फिर भी नहीं बचा सका जान

कल्याणपुर पुलिस ने किराना व्यापारी से गन प्वाइंट पर हुई लूट का पर्दाफाश किया, लुटेरों के गिरोह के दो सदस्यों की तलाश जारी।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 04:10 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 04:10 PM (IST)
बीमार पिता का इलाज कराने के लिए बन गया लुटेरा, फिर भी नहीं बचा सका जान
बीमार पिता का इलाज कराने के लिए बन गया लुटेरा, फिर भी नहीं बचा सका जान

कानपुर (जेएनएन)। अक्सर पुरानी फिल्मों में देखने को मिलता है, बीमार मां के लिए बेटा मेडिकल स्टोर पर दवा लेने जाता है लेकिन पैसे पूरे न होने वजह से जब कोई रास्ता नजर नहीं आता है तो वह जरायम की दुनिया में कदम रख देता है। कुछ ऐसी ही फिल्मी कहानी उन्नाव के आशीष की है। आशीष ने बीमार पिता के इलाज के लिए जरायम का पेशा अपना लिया। लुटेरों के गिरोह में शामिल होकर महज छह हजार रुपये ही हासिल कर पाया और पूरा इलाज न करा पाने से पिता की जान भी चली गई। अब पुलिस आशीष की तलाश कर रही है।

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किराना व्यापारी से की थी लूट

30 अक्टूबर की रात कल्याणपुर के विनायकपुर पंचवटी निवासी ओम प्रकाश सिंह छपेड़ा पुलिया स्थित किराने की दुकान से घर लौट रहे थे। घर से चंद कदम पहले ही दो बाइकों पर आए तीन बदमाशों ने उन्हें रोक लिया और तमंचा दिखाकर बैग छीनने लगे। विरोध पर एक लुटेरे ने तमंचे की बट सिर पर मारकर उन्हें घायल कर दिया। इसके बाद वे बैग लूटकर दूसरे छोर पर खड़े अपने तीन साथियों के साथ फरार हो गए थे।

नशे की लत पूरा करने को बने लुटेरे

पुलिस को घटनास्थल के पास लगे एक कैमरे में पूरी घटना कैद मिली थी। फुटेज के आधार पर पुलिस ने मंगलवार सुबह छपेड़ा पुलिया के पास वारदात में शामिल चार लुटेरों को दबोच लिया। इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह ने बताया कि आरोपितों में छपेड़ा पुलिया निवासी टेंट कारीगर विवेक पासवान, पत्थर कारीगर अन्नू अग्निहोत्री, आकाश पासवान व बिजली मिस्त्री शिवम हैं। आरोपित नशेबाजी का शौक पूरा करने के लिए लुटेरे बन गए। उनके अनुसार व्यापारी के बैग में 18 हजार रुपये थे। फरार आशीष व विपिन की तलाश की जा रही है।

आशीष को मिले थे हिस्से के छह हजार

पकड़े गए शातिरों ने पुलिस को बताया कि उन्नाव का युवक आशीष इसलिए उनके साथ लूट में शामिल हुआ, ताकि अपने बीमार पिता के इलाज का खर्च उठा सके। व्यापारी के बैग में मिली रकम में से छह हजार रुपये आशीष को मिले थे। बाकी के पांच हिस्से कर दिए थे। लेकिन दो दिन पूर्व आशीष के पिता की मौत हो गई।


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