धूमपान करने वाले हो जाएं सावधान, सिगरेट का धुआं बढ़ा रहा है बांझपन
एक हजार दंपती पर अध्ययन में मिली चौंकाने वाली स्थिति 70 फीसद पुरुष व 30 फीसद महिलाओं में मिली समस्या।
By AbhishekEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 11:52 AM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 09:57 AM (IST)
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। अगर आप धूमपान और तंबाकू सेवन करते हैं तो सावधान हो जाएं। ये सिर्फ आपके फेफड़े, दिल और गुर्दों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहे बल्कि बांझपन की बड़ी वजह बन रहे हैं। शोध में पता चला है कि सिगरेट का धुआं और तंबाकू प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं।
बांझपन की समस्या पर एक निजी संस्थान में एक हजार दंपती पर अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि तंबाकू एवं तंबाकू निर्मित पदार्थों के सेवन से 60 फीसद दंपती में बांझपन की समस्या हुई है। तंबाकू में निकोटिन की मात्रा सबसे अधिक होती है। इससे 70 फीसद पुरुषों में स्पर्म (शुक्राणु) की संख्या मानक से कम थी। उनके स्पर्म की गुणवत्ता खराब तथा गति भी औसत से कम पाई गई। वहीं महिलाओं में अंडाणुओं की गुणवत्ता खराब पाई गई। निकोटिन की वजह से बच्चेदानी के मुंह (सर्विक्स) पर स्वाब (चिपचिपा पदार्थ) बन जाता है, जो स्पर्म को अंदर जाने से रोकता है।
एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या
धूमपान से एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या होती है। फेलोपियन ट्यूब में पहले भ्रूण बनता है। तीन-चार दिन बाद यूट्रस में प्रत्यारोपित होता है। निकोटिन की वजह से फेलोपियन ट्यूब में समस्या आ जाती है। अंडे गर्भाशय तक नहीं पहुंचते हैं। भ्रूण फेलोपियन ट्यूब में ही विकसित होने लगता है। इससे जटिलताएं और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
सात हजार रसायन रोकते गर्भधारण से
तंबाकू के धुएं में सात हजार से अधिक रसायन होते हैं। इनमें 70 रसायन में कैंसर कारक तत्व होते हैं। सिगरेट का एक कश लगाने पर सात हजार से अधिक रसायन शरीर के विभिन्न अंगों में फैल जाते हैं। दिन में पांच या अधिक सिगरेट पीने से गर्भधारण की क्षमता में कमी आती है।
पुरुष प्रजनन क्षमता पर असर
धूमपान से पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। सिगरेट का धुआं रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे शरीर का रक्त संचार प्रभावित होता है। इससे यौन क्षमता में कमी आती है।
पैसिव स्मोकिंग भी घातक
तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने वालों को पैसिव स्मोकिंग कहते हैं। इस माहौल में सांस लेने पर निकोटिन और विषैले रसायन अंदर लेते हैं। यह रसायन शरीर के लिए खतरनाक हैं।
गंभीर हालात
1000 दंपती पर अध्ययन
60 फीसद में बांझपन की समस्या
70 फीसद पुरुषों में कम स्पर्म काउंट
30 फीसद महिलाओं में अंड़ाणुओं की गुणवत्ता खराब
आंकड़ों पर नजर
12.30 लाख महिलाएं शहर में
6-7 फीसद बांझपन की समस्या
चिकित्सक का ये है कहना
धूमपान से पुरुषों में आलिगो टेरेटो एस्थिनो जूस्पर्मिया हो जाता है। इससे उनके स्पर्म की गुणवत्ता तथा काउंट कम हो जाते हैं। स्पर्म की संरचना भी प्रभावित होती है। महिलाओं में अंडाणु खराब हो जाते हैं। फेलोपियन ट्यूब भी क्षतिग्रस्त होने लगती है।
-डॉ. प्रतिभा सिंह, स्त्री एवं प्रसूति रोग एवं बांझपन विशेषज्ञ।
बांझपन की समस्या पर एक निजी संस्थान में एक हजार दंपती पर अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि तंबाकू एवं तंबाकू निर्मित पदार्थों के सेवन से 60 फीसद दंपती में बांझपन की समस्या हुई है। तंबाकू में निकोटिन की मात्रा सबसे अधिक होती है। इससे 70 फीसद पुरुषों में स्पर्म (शुक्राणु) की संख्या मानक से कम थी। उनके स्पर्म की गुणवत्ता खराब तथा गति भी औसत से कम पाई गई। वहीं महिलाओं में अंडाणुओं की गुणवत्ता खराब पाई गई। निकोटिन की वजह से बच्चेदानी के मुंह (सर्विक्स) पर स्वाब (चिपचिपा पदार्थ) बन जाता है, जो स्पर्म को अंदर जाने से रोकता है।
एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या
धूमपान से एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या होती है। फेलोपियन ट्यूब में पहले भ्रूण बनता है। तीन-चार दिन बाद यूट्रस में प्रत्यारोपित होता है। निकोटिन की वजह से फेलोपियन ट्यूब में समस्या आ जाती है। अंडे गर्भाशय तक नहीं पहुंचते हैं। भ्रूण फेलोपियन ट्यूब में ही विकसित होने लगता है। इससे जटिलताएं और गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
सात हजार रसायन रोकते गर्भधारण से
तंबाकू के धुएं में सात हजार से अधिक रसायन होते हैं। इनमें 70 रसायन में कैंसर कारक तत्व होते हैं। सिगरेट का एक कश लगाने पर सात हजार से अधिक रसायन शरीर के विभिन्न अंगों में फैल जाते हैं। दिन में पांच या अधिक सिगरेट पीने से गर्भधारण की क्षमता में कमी आती है।
पुरुष प्रजनन क्षमता पर असर
धूमपान से पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। सिगरेट का धुआं रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे शरीर का रक्त संचार प्रभावित होता है। इससे यौन क्षमता में कमी आती है।
पैसिव स्मोकिंग भी घातक
तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने वालों को पैसिव स्मोकिंग कहते हैं। इस माहौल में सांस लेने पर निकोटिन और विषैले रसायन अंदर लेते हैं। यह रसायन शरीर के लिए खतरनाक हैं।
गंभीर हालात
1000 दंपती पर अध्ययन
60 फीसद में बांझपन की समस्या
70 फीसद पुरुषों में कम स्पर्म काउंट
30 फीसद महिलाओं में अंड़ाणुओं की गुणवत्ता खराब
आंकड़ों पर नजर
12.30 लाख महिलाएं शहर में
6-7 फीसद बांझपन की समस्या
चिकित्सक का ये है कहना
धूमपान से पुरुषों में आलिगो टेरेटो एस्थिनो जूस्पर्मिया हो जाता है। इससे उनके स्पर्म की गुणवत्ता तथा काउंट कम हो जाते हैं। स्पर्म की संरचना भी प्रभावित होती है। महिलाओं में अंडाणु खराब हो जाते हैं। फेलोपियन ट्यूब भी क्षतिग्रस्त होने लगती है।
-डॉ. प्रतिभा सिंह, स्त्री एवं प्रसूति रोग एवं बांझपन विशेषज्ञ।
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