कोरोना संकट के दौरान छोटे-छोटे उद्यमों ने युवाओं के लिए बढ़ा दिए रोजगार के अवसर
पैकेजिंग खानपान सैनिटाइजर मास्क स्टील व लकड़ी समेत अन्य उत्पादों के 350 से अधिक उद्योग हुए स्थापित। कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर मिलने लगे हैं। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 37 इकाइयों को एक करोड़ 49 लाख स्वीकृत हुए है।
कानपुर, जेएनएन। शहर में कोरोना काल के दौरान लगे नए उद्योगों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ रोजगार के अवसर बढ़ा दिए हैं। प्रधानमंत्री रोजगार, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार व एक जिला एक उत्पाद के तहत सौ से अधिक नए उद्योग स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उद्योग का पहिया दौड़ने लगा है। कोविड-19 के बीच शहर में 350 नए उद्योग लगाए गए हैं जबकि ग्रामोद्योग आयोग की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में 150 से अधिक उद्योग स्थापित किए जा चुके हैं जिनसे सैकड़ों युवाओं की गाड़ी पटरी पर आ गई है।
केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के तहत बांटा जा रहा लोन
प्रधानमंत्री रोजगार का लक्ष्य 72 इकाइयों को ऋण स्वीकृत कराया गया है। इन इकाइयों को दो करोड़ 16 लाख की अपेक्षा दो करोड़ 16 लाख 22 हजार रूपये लोन स्वीकृत हुआ है। इसमें से एक करोड़ 23 लाख रूपये वितरित हुए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 37 इकाइयों को एक करोड़ 49 लाख स्वीकृत हुए हैं। कोरोना संकट के बीच इनमें से 94 लाख रूपये वितरित हो चुके हैं।
एक जिला एक उत्पाद में दो करोड़ 15 लाख का ऋण स्वीकृत
एक जिला एक उत्पाद वित्तपोषण योजना के तहत ऋण मुहैया कराने के लिए उद्योग विभाग ने 37 इकाइयों की सूची बनाई। उनके लिए दो करोड़ 15 लाख स्वीकृत हुए जिसमें से एक करोड़ 22 लाख वितरित हुआ है। शहर में स्थापित की जाने वाली व स्थापित की जा रही इन नई इकाइयों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उद्योग का पहिया फिर से चलने लगा है।
साबुन, मास्क व अगरबत्ती बना रहे ग्रामीण कारीगर
उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में साबुन, मास्क, अगरबत्ती, माटी कुम्हार, चर्म के अलावा मिट्टी, दफ्ती व घास के खिलौने समेत अन्य छोटे छोटे सौ से अधिक उद्योग स्थापित हुए हैं। इनके जरिए रोजगार का सृजन हुआ है जिससे सैकड़ों युवाओं की गाड़ी पटरी पर आ गई है। सबसे बड़ी बात यह है ग्रामीण कामगार युवाओं का पलायन अब रूकने लगा है। वह कोरोना के बीच दूर शहर में जाकर रोजी रोटी तलाशने की बजाय अपने घर पर रहकर काम करना चाहते हैं।
इनका ये है कहना
प्रधानमंत्री रोजगार, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार व एक जिला एक उत्पाद इन तीनों योजनाओं के युवाओं को ऋण स्वीकृत होना अच्छे संकेत हैं। ऋण स्वीकृत होते व मिलते ही उन्होंने अपनी इकाइयां स्थापित करनी व उसके लिए कच्चा माल व मशीनें जुटानी शुरू कर दी हैं। कोरोना के बीच नए उद्योग लगने से प्रवासी कामगारों को अपने ही शहर में रोजगार मिल रहा है। - अशोक कुमार, उपायुक्त उद्योग