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सीबीएसई स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होगा कौशल विकास, इसी साल से पढ़ेंगे छात्र Kanpur News

एक्स्ट्रा कैरीकुलर एक्टिविटी को पढ़ाई का अंग बनाने के लिए कक्षा से आठ तक में शामिल किया जाएगा एक वैकल्पिक विषय।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 09:59 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 09:59 PM (IST)
सीबीएसई स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होगा कौशल विकास, इसी साल से पढ़ेंगे छात्र Kanpur News
सीबीएसई स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होगा कौशल विकास, इसी साल से पढ़ेंगे छात्र Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों की सोच का दायरा बढ़ाने और उनके हुनर को तराशने के लिए कोर्स में बड़े पैमाने पर बदलाव करने जा रहा है। सीबीएसई स्कूलों के कोर्स में इसी साल से कौशल विकास जुड़ जाएगा। कक्षा छह से आठवीं तक के छात्रों को ङ्क्षहदी, अंग्रेजी, इतिहास व भूगोल के साथ एक वैकल्पिक विषय दिया जाएगा। तीन साल में एक बार छात्र इसकी पढ़ाई करेंगे।

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अब केवल अंकों के आधार पर नहीं होगा मूल्यांकन

आइआइटी के अंतरराज्यीय विज्ञान एवं टिंकङ्क्षरग फेस्ट में भाग लेने आए सीबीएसई के टे्रनिंग एंड स्किल डेवलपमेंट डायरेक्टर डॉ. बिस्वजीत साहा ने दैनिक जागरण के साथ हुई बातचीत में बताया कि छात्रों की उद्यमिता के लिए यह बदलाव किया गया है। एक्स्ट्रा कैरीकुलर एक्टिविटी को पढ़ाई का अंग बनाए जाने के लिए कौशल विकास के अलावा अन्य विषयों को भी कोर्स में शामिल किया जाएगा। कक्षा नौ व दसवीं में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की पढ़ाई शुरू कराई गई है। एक हजार स्कूलों में जल्द ही छात्र नए व रोजगारपरक विषयों का अध्ययन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि छात्रों का मूल्यांकन अब केवल अंकों पर आधारित नहीं रहेगा। छात्रों ने क्या सीखा? उन्हें मिलने वाले अंक अब इस पर निर्भर होंगे। छात्रों की क्षमता का स्तर जानने के लिए परिणाम आधारित पढ़ाई कराई जाएगी। परीक्षा इस बात पर निर्भर होगी कि छात्र ने क्या सीखा न कि इस पर कि उसने कितनी परिभाषाएं याद की हैं।

विश्लेषण क्षमता बढ़ाने की जरूरत

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) में विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष दिनेश कुमार ने अपने अध्ययन में पाया है कि छात्रों के विश्लेषण की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए कोर्स ऐसा बनाया जाए जो उनकी क्रिएटिव थिंकिंग को बढ़ाए। छात्र के लिए केवल डिवीजन प्राप्त करने का पैमाना नहीं होना चाहिए। वह कितना सीख रहे हैं ये जानना बहुत जरूरी है।

सपनों की उड़ान भर सकेंगे युवा

तकनीकी, स्वास्थ्य, कृषि के अलावा बिजली, पानी व सड़क जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए तकनीक विकसित करने की ख्वाहिश रखने वाले युवाओं को अब विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी। इसके लिए सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआइ) देश में 21 इंक्यूबेशन सेंटर बना रहा है। इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय व बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में छह सेंटर बनकर तैयार हो चुके हैं। एसटीपीआइ के महानिदेशक डॉ. ओंकार राय ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वर्चुअल रिएलिटी, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी व गेमिंग एनीमेशन जैसे क्षेत्रों के लिए इंक्यूबेशन सेंटर बनकर तैयार हो गए हैं। युवा अपने आइडिया भेज सकते हैं।


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