कानपुर में कैसे आ गए हालात! दाह संस्कार करने के लिए भी लगाना पड़ रहा है जुगाड़, नहीं मिल रहे वाहन
शवों के जलाने की जगह खत्म हो गई तो पंडित ने शवों को पार्क में जलवाया है। विजय पंडित ने बताया कि दाह संस्कार के 20 चबूतरे स्वर्ग आश्रम में बने हुए हैं। हर रोज यहां 25 से 30 शव दाह संस्कार के लिए आ रहे हैं
कानपुर, जेएनएन। शहर में लगातार मौतों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। कोविड के डर से वाहन सवार भी शव को दाह संस्कार के लिए ले जाने को तैयार नहीं हो रहें। इस वजह से लोग नेताओं व रसूखदार लोगों की मदद ले रहे हैं। बर्रा दो स्थित स्वर्ग आश्रम में सोमवार को गोविंदनगर निवासी एक युवक के भाई मौत घर पर हो गई थी। शव का दाह संस्कार करने के लिए कोविड के डर से शव को गाड़ी में रखने को तैयार नहीं हो रहा था।
इसके बाद वह एक रिश्तेदार के साथ स्वर्ग आश्रम पहुंचकर पंडितों से शव को स्वर्ग आश्रम लाने के लिए गाड़ी को घर भेजने की मांग तो पंडित ने गाड़ी खाली नहीं होने की बात कही। इससे युवक ने कई प्राइवेट गाडिय़ों से भी संपर्क, लेकिन वह जाने को तैयार नहीं थे। इसके बाद युवक ने अपने मिलने वाले नेता को फोनकर गाड़ी के लिए निवेदन किया तो गाड़ी की व्यवस्था हुई। इसी तरह भैरवघाट में अंतिम संस्कार के लिए लाइनें लग रही हैं। इस वजह से वहां भी लोग जुगाड़ लगाने में जुटे हैं।
स्वर्ग आश्रम में जगह खत्म, पार्क में दाह संस्कार : बर्रा दो स्थित स्वर्ग आश्रम में शवों के जलाने की जगह खत्म हो गई तो पंडित ने शवों को पार्क में जलवाया है। विजय पंडित ने बताया कि दाह संस्कार के 20 चबूतरे स्वर्ग आश्रम में बने हुए हैं। हर रोज यहां 25 से 30 शव दाह संस्कार के लिए आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या सात तक ही सीमित थी। उन्होंने बताया कि मंगलवार को शव ज्यादा आने से आश्रम के पार्क में शवों को जलाना पड़ा। स्वर्ग आश्रम में बिना चिकित्सा प्रणाम पत्र को शवों को नहीं जलाने दिया जाता।