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कानपुर किडनी कांड में एक और सफलता, लखनऊ में तैनात हेड कांस्टेबल का बेटा गिरफ्तार

किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए काउंसलर की भूमिका निभाता था मोहम्मद गुलाम जुनैद अहमद।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 03:28 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 11:35 AM (IST)
कानपुर किडनी कांड में एक और सफलता, लखनऊ में तैनात हेड कांस्टेबल का बेटा गिरफ्तार
कानपुर किडनी कांड में एक और सफलता, लखनऊ में तैनात हेड कांस्टेबल का बेटा गिरफ्तार
कानपुर, जेएनएन। एसआइटी ने लखनऊ पुलिस लाइन में तैनात एचसीपी शोएब अहमद कादरी के बेटे मोहम्मद गुलाम जुनैद अहमद को गिरफ्तार कर लिया। वह बर्रा में दर्ज किडनी कांड के मुकदमे में नामजद था। पुलिस पिछले काफी समय से उसकी तलाश कर रही थी। किडनी रैकेट कांड में यह दसवीं गिरफ्तारी है। झांसी के हामिद सिद्दकी इंटर कालेज से हाईस्कूल तक पढ़ाई करने वाला जुनैद डोनर प्रोवाइडर होने के साथ उनकी काउंसलिंग और ट्रेनिंग में अहम भूमिका निभाता था। 
साकेत नगर में रह रही बांदा के इलेक्ट्रीशियन की पत्नी को नौकरी के बहाने से गाजियाबाद ले जाने वाला जुनैद ही था। यहां जुनैद को फोन पर किसी से किडनी निकलवाने की बातचीत करते सुनने के बाद इलेक्ट्रीशियन की पत्नी जबरन वापस लौट आयी थी। इसके बाद उसने गिरोह के सरगना कोलकाता निवासी टी-राजकुमार राव उर्फ राजू राव, गौरव मिश्र, जुनैद, श्याम तिवारी समेत आधा दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
बर्रा थाना प्रभारी अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि फरार चल रहे आरोपित बर्रा कर्रही निवासी संजय पाल और नई बस्ती खाड़ेपुर निवासी श्याम दुबे उर्फ भूरा की तलाश में रविवार रात दोनों के घरों व अन्य संभावित स्थानों पर दबिश दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद सोमवार सुबह दोनों के अंधा कुंआ चौराहे के पास आने की सूचना पर छापेमारी की गई। यहां जुनैद हत्थे चढ़ गया। जुनैद गिरोह में गौरव मिश्र के लिए काम करता था। किडनी डोनरों को मोटीवेट करके ट्रांसप्लांट के लिए गौरव से मुलाकात कराता था।
2011 में हुई थी गौरव से मुलाकात
जुनैद ने बताया कि वर्ष 2011 में लखनऊ के एक मोबाइल नेटवर्क कंपनी के कॉल सेंटर में नौकरी के दौरान उसकी मुलाकात गौरव मिश्र से हुई थी। वह भी उसी कॉल सेंटर में काम करता था। दोस्ती होने के बाद उससे ही किडनी के धंधे की जानकारी हुई। इसके बाद वह भी इसी धंधे में उतर गया। पहले तो वह डोनर प्रोवाइडर था। बाद में काउंसलिंग का काम देखने लगा। 
दिल्ली के बड़े अस्पतालों तक फैला था संजाल
बर्रा पुलिस ने साकेत नगर निवासी इलेक्ट्रीशियन की पत्नी की शिकायत पर डोनर प्रोवाइडर एजेंटों के सरगना टी-राजकुमार राव समेत आधा दर्जन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। नौबस्ता थाने के दारोगा विशेष कुमार ने ङ्क्षस्टग आपरेशन करके 17 फरवरी को कोलकाता निवासी टी-राजकुमार राव समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आरोपितों के पास से कई डोनर और मरीजों के दस्तावेज, फर्जी मोहर, स्टैंप पेपर, शपथ पत्र, एटीएम, आधार, पैन कार्ड आदि बरामद हुआ था। दिल्ली के फोर्टिस और पीएसआरआइ अस्पताल से किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़ी फाइलों की सील करके दोनों अस्पतालों के कोआर्डिनेटर सोनिका, सुनीता व मिथुन के बयान दर्ज हुए थे। 
हलफनामों पर फर्जी वकील से नोटरी
किडनी रैकेट के एजेंटों और अस्पतालों से मिले मरीजों व डोनर के शपथपत्रों पर जिस नोटरी वकील का स्टांप और हस्ताक्षर है, वह वकील असल में है ही नहीं। दिल्ली में साकेत कचहरी की बार काउंसिल की रिपोर्ट एसआइटी को मिली तो सच सामने आ गया। यही नहीं बुलंदशहर के मरीज के बेटे की हाईस्कूल की अंकतालिका भी फर्जी निकली है। किडनी रैकेट के खुलासे में एसआइटी को डोनर प्रोवाइडर एजेंटों के सरगना टी-राजकुमार राव और गौरव मिश्र के पास से मरीजों व डोनरों के तमाम दस्तावेज मिले थे। वहीं पुलिस ने दिल्ली के पीएसआरआइ और फोर्टिस हास्पिटल से बीते छह माह में हुए ट्रांसप्लांटों के दस्तावेज की फोटोकापी व मूल प्रतियों को भी सील किया था।
साक्ष्य जुटा रही एसआइटी पिछले दिनों दिल्ली गई थी, जहां पीएसआरआइ हास्पिटल में ट्रांसप्लांट कराने वाले बुलंदशहर के अनिल अग्रवाल व महेश जीना की फाइल का सत्यापन किया गया। टीम के मुताबिक दोनों ही फाइलों में मरीज और डोनर के शपथपत्रों में नोटरी वकील रमेश चंद्र बब्बर का स्टांप और हस्ताक्षर थे। जब टीम दिल्ली के साकेत कोर्ट गई तो पता लगा कि इस नाम का कोई भी नोटरी वकील नहीं है। वहां की बार काउंसिल ने भी यह रिपोर्ट दी है।
यूपी बोर्ड की फर्जी अंकतालिका लगाई
अनिल अग्रवाल का किडनी ट्रांसप्लांट गौरव मिश्र ने पीएसआरआइ में दिसंबर 2018 में कराया था। लखनऊ के 18 वर्षीय शोएब अली को उनका बेटा संस्कार बताकर अस्पताल की कमेटी के सामने पेश किया गया। शोएब से चार लाख में सौदा तय हुआ था। ट्रांसप्लांट के बाद 2.40 लाख दिए लेकिन बाद में मरीज की मौत होने पर आगे का भुगतान नहीं किया था। एसआइटी के मुताबिक अनिल की फाइल में बेटे का यूपी बोर्ड का दसवीं का अंकपत्र लगा है, जबकि जांच में सामने आया है कि संस्कार ने सीबीएसई बोर्ड से दसवीं की पढ़ाई पूरी की थी। यानी कि दसवीं का अंकपत्र भी फर्जी है।
इस माह अंत तक चार्जशीट
किडनी रैकेट के खुलासे के बाद चार्जशीट दाखिल करने के लिए एसआइटी मजबूत साक्ष्यों के संकलन में जुटी है ताकि आरोपितों को कोर्ट से जमानत न मिल सके। उम्मीद है कि महीने के आखिर तक पुलिस चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर देगी। दस्तावेजों के सत्यापन के लिए पूर्व विवेचक रहे इंस्पेक्टर गंगा सिंह दिल्ली गए थे। उच्चाधिकारियों के आदेश पर उन्हें वापस बुलाया गया था। इसके बाद आजमगढ़ से सत्यापन करके लौटे दारोगा राम खिलाड़ी और स्टिंग आपरेशन करने वाले दारोगा विशेष कुमार को फिर दिल्ली भेजा गया था।
ये हो चुके गिरफ्तार
कोलकाता के टी-राजकुमार राव, लखीमपुर खीरी निवासी गौरव मिश्र, जैतपुर नई दिल्ली के शैलेश सक्सेना, दशहरी मोड़ लखनऊ के सबूर अहमद, गंगागंज पनकी के विक्की ङ्क्षसह, विक्टोरिया स्ट्रीट लखनऊ के शमशाद अली, लखनऊ के रामू पांडेय, लखनऊ चौक का राजा और जूही लाल कालोनी के श्यामू तिवारी उर्फ श्याम
अभी इनकी है तलाश
कथित डाक्टर केतन कौशिक, मोहित निगम, करन, संजय पाल, दुर्गापाल, श्याम दुबे उर्फ भूरा, सिप्पू राय, आसिम सिकदर, आनंद।

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