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शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कारीगर ने उगले राज, अधिवक्ता व कर्मचारियों की भी बताई मिलीभगत Kanpur News

तीन दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया आरोपित जितेंद्र पत्रावलियां बरामद करने के लिए आज घर ले जाएगी एसआइटी।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 12:16 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 08:25 AM (IST)
शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कारीगर ने उगले राज, अधिवक्ता व कर्मचारियों की भी बताई मिलीभगत Kanpur News
शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा : कारीगर ने उगले राज, अधिवक्ता व कर्मचारियों की भी बताई मिलीभगत Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा में सरेंडर करने वाले कारीगर जितेंद्र को एसआइटी मंगलवार सुबह तीन दिन की रिमांड पर जेल से बाहर लाई। कोतवाली में पूछताछ हुई तो उसने अधिवक्ता समेत सात व्यक्तियों के भी फर्जीवाड़े में शामिल होने की बात कही। पुलिस अब उन सभी को बुलाकर आरोपित से आमना सामना कराएगी। बुधवार को उसे कलेक्ट्रेट व उसके घर ले जाकर गायब पत्रावलियां बरामद करने की कोशिश की जाएगी।

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77 फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आरोपित कारीगर जितेंद्र को शुरुआत से ही अनुभाग का कारखास माना जा रहा है। सरेंडर करके जेल गए लिपिक विनीत तिवारी ने भी उसे ही विभाग का ठेकेदार बताया था। उसने कहा था कि जितेंद्र ही बाहरी व्यक्तियों और शस्त्र लाइसेंस बनवाने का ठेका लेने वालों से संपर्क और सौदा करता था। एसआइटी को उसकी ईमेल आइडी से भेजे गए मैसेज से भी इस बात की पुष्टि हुई थी। मंगलवार को न्यायालय के आदेश पर एसआइटी ने जितेंद्र को भी तीन दिन की रिमांड पर लिया। कोतवाली में उससे कई चरणों में पूछताछ की गई।

लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया के साथ ही आवेदकों, रकम का आदान प्रदान करने वालों के बारे में भी पूछताछ की गई तो उसने दो अधिवक्ताओं, विभाग के ही दो अन्य कर्मचारियों व कुछ आवेदकों की मिलीभगत होने की बात कही। एसआइटी के सीओ राजेश पांडेय ने बताया, कारीगर को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड लिया गया है। उससे शस्त्र लाइसेंसों की गायब पत्रावलियां बरामद करने के साथ ही फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। उसने कुछ व्यक्तियों के नाम बताए हैं। उनसे भी पूछताछ की जाएगी।

मुस्करा कर दिए जवाब, कई सवालों पर साधी चुप्पी

सूत्रों ने बताया कि कारीगर कोतवाली आने के बाद मुस्करा कर एसआइटी के सवालों का जवाब देता रहा। हालांकि कई सवालों पर वह चुप्पी साध गया और कई सवालों के गोलमोल जवाब दिए। बोला कि पैसा ऊपर तक जाता है। बिना अधिकारियों की जानकारी के विभाग में कुछ नहीं होता। उसने कहा कि बाहरी लोगों का विभाग में नियमित आना जाना है और वही लाइसेंस बनवाने का ठेका लेते हैं। आवेदकों से सीधे डील नहीं होती।  


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