Anti Sikh Riots Kanpur : एसआइटी ने पूर्व मंत्री के भतीजे को बनाया आरोपित, वर्तमान समय में चल रहा फरार
कानपुर में सिख विरोधी दंगों में एसआइटी ने सपा के पूर्व मंत्री रामस्वरूप गौड़ के भतीजे हेमराज गौर को आरोपित बनाया। दादानगर नगर महापालिका कालोनी में हुए दोनों हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगा है। आरोपितों की लिस्ट में तत्कालीन कई मंत्री और विधायक।
कानपुर (गौरव दीक्षित)। सिख विरोधी दंगों में आरोपितों की गिरफ्तारी शुरू होने के बाद रोजाना एक के बाद एक नया पर्दाफाश हो रहा है। एसआइटी (एसआइटी) ने सिख विरोधी दंगे में एक और पूर्व मंत्री रामस्वरूप गौर के भतीजे हेमराज गौर को भी आरोपित बना दिया है। इससे पहले पूर्व राज्य मंत्री शिवनाथ कुशवाहा के भतीजे राघवेंद्र कुशवाहा को एसआइटी आरोपित बना चुकी है और वह वर्तमान समय में फरार चल रहा है।
सिख विरोधी दंगों के जिन 11 मामलों में एसआइटी विवेचना कर रही है, उसमें अब तक 96 आरोपितों के नाम सामने आ चुके हैं। इनमें से 23 की मृत्यु हो चुकी है। जिन 73 की गिरफ्तारी की जानी है, उनमें से 11 अब तक गिरफ्तार करके जेल भेजे जा चुके हैं। गिरफ्तारी तक एसआइटी ने सिख विरोधी दंगों से जुड़ी जांच की रिपोर्ट को लेकर पूरी तरह से गोपनीयता बरती।
लेकिन अब जब गिरफ्तारियां शुरू हुई तो रोजाना नए-नए राज सामने आ रहे हैं। पिछले दिनों एसआइटी ने प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पूर्व राज्यमंत्री रहे शिवनाथ सिंह कुशवाहा के भतीजे राघवेंद्र सिंह कुशवाहा का नाम सार्वजनिक किया था। हालांकि घाटमपुर स्थित मंत्री के भतीजे के ठिकानों पर छापा मारा गया तो वह नहीं मिला। अब एक और बड़ा नाम सामने आया है और संयोग से यह नाम सपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे रामस्वरूप गौर के भतीजे हेमराज गौर का है। हेमराज गौर खालसा इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हैं।
इन मामलों में सामने आया नाम- हेमराज गौर का नाम गोविंदनगर में दादानगर नगर महापालिका में हुए दो हत्याकांडों में सामने आया है। एक मामले में भगत सिंह की हत्या हुई थी, जबकि दूसरे मामले में जोगेंद्र सिंह, शीलारानी, दलजीत सिंह और सतनाम सिंह को मार दिया गया था। आरोप है कि यह भीड़ हेमराज गौर के नेतृत्व में ही वहां पहुंची। सामूहिक हत्याकांड में पुलिस को शव भी नहीं मिले थे।
दंगे में शामिल कई बड़े नाम- तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने हिंसा का नेतृत्व किया था। पूर्व मंत्री अब्दुल रहमान नस्तर, विधायक बिलायतीराम कत्याल और विधायक कमला दरियाबादी के नाम आए। लेकिन इन सभी की मृत्यु हो चुकी है। बिलायती राम कत्याल की हत्या की गई थी और दावा था कि उन्हें खालिस्तान समर्थक आतंकियों ने ही मारा था। आरोपितों में पूर्व पार्षद, वकील, व्यापारी सभी के नाम हैं, जिनके नाम अभी खोलना ठीक नहीं है।
यह है मामला- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के प्रतिशोध में 31 अक्टूबर व एक नवंबर 1984 को सिख विरोधी दंगों में कानपुर में 127 सिखों की हत्या हुई थी। 27 मई 2019 को गंभीर प्रकृति के 40 मुकदमों में दोबारा जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया था। एसअसाइटी इनमें से 11 मामलों की जांच कर रही है, जिनमें पिछले कुछ दिनों से गिरफ्तारियां चल रही हैं।
जिम्मेदार बोले- हेमराज गौर का नाम गवाहों के बयानों के आधार पर सामने आया है। रंगनाथ मिश्रा आयोग में भी उनका कई स्थानों पर जिक्र है। रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में उन्हें उनके उपनाम से संबोधित किया गया है।-
बालेंदु भूषण, डीआइजी एसआइटी