कानपुर: यूपीएफसी और सिडबी के बीच समझौते पर फैसला जल्द, इस तरह खत्म होगा विवाद
यूपीएफसी ने सिडबी से 372 करोड़ रुपये का ऋण लिया था लेकिन इसे अदा नहीं किया। ब्याज सहित यह राशि बढ़कर 661 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। ताे सिविल लाइंस स्थित मुख्यालय भवन समेत 50 फ्लैटों को दो साल पहले सिडबी ने कुर्क कर लिया था।
कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और उप्र वित्त निगम (यूपीएफसी) के बीच जल्द ही ऋण वसूली अधिकरण में चल रहा मुकदमा खत्म हो जाएगा। यह दोनों पक्षों के बीच ऋण की अदायगी को लेकर एकमुश्त समाधान योजना के तहत हुए समझौते के आधार पर होगा। इसके बाद सिडबी यूपीएफसी की कुर्क की गई संपत्तियों को मुक्त करेगा। समझौते के तहत ही 275 करोड़ में से 90 करोड़ रुपये अब तक यूपीएफसी सिडबी को दे चुका है।
यूपीएफसी ने सिडबी से 372 करोड़ रुपये का ऋण लिया था, लेकिन इसे अदा नहीं किया। ब्याज सहित यह राशि बढ़कर 661 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। बार- बार नोटिस के बाद भी जब निगम ने ऋण जमा नहीं किया तो सिविल लाइंस स्थित मुख्यालय भवन समेत 50 फ्लैटों को दो साल पहले सिडबी ने कुर्क कर लिया था। इसके विरुद्ध यूपीएफसी ने ऋण वसूली अधिकरण में वाद दायर किया था।
बाद में दोनों पक्षों में एकमुश्त समाधान योजना के तहत समझौता हुआ। तय हुआ कि निगम 275 करोड़ रुपये अलग-अलग किश्तों में बैंक को अदा करेगा। इस समझौते के तहत अब तक 90 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। दोनों पक्षों ने समझौते की प्रति अधिकरण में जमा कर दी है। न्यायालय ने सिडबी से कुछ जानकारियां मांगी हैं। सिडबी जैसे ही जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराएगा, समझौते पर कोर्ट की मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद संपत्तियां भी मुक्त हो जाएंगी। निगम कुछ संपत्तियों की बिक्री करके ऋण अदा करेगा और बकायेदारों से वसूली गई राशि भी बैंक को देगा। निगम एमडी डा. राजशेखर का कहना है कि बैंक के ऋण की अदायगी लगातार की जा रही है।