Move to Jagran APP

ShriKrishna Janmashtami 2020: 18 बरस से थाने में कैद हैं माखनचोर, आश्चर्य में डालती है कलियुग की ये लीला

Krishna Janmashtami Special News कोर्ट से जमानत पर आरोपित तो रिहा हो गए लेकिन भगवान कृष्ण बलराम व राधाजी को आजतक रिहाई नहीं मिल सकी है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 04:56 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 12:49 AM (IST)
ShriKrishna Janmashtami 2020: 18 बरस से थाने में कैद हैं माखनचोर, आश्चर्य में डालती है कलियुग की ये लीला
ShriKrishna Janmashtami 2020: 18 बरस से थाने में कैद हैं माखनचोर, आश्चर्य में डालती है कलियुग की ये लीला

कानपुर, जेएनएन। [Krishna Janmashtami 2020] भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का कोई अंत नहीं है, द्वापर युग की लीला के किस्से तो बहुत सुनें होंगे लेकिन कलियुग की उनकी ये लीला हर किसी को आश्चर्य में डाल देती है। मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण को जन्म लेते ही कंस की कैद से मुक्ति मिल गई थी लेकिन यहां माखनचोर 18 बरस से थाने में कैद हैं। अभी तक उनकी रिहाई का फरमान नहीं आ सका है। हां, जन्माष्टमी पर वह जरूर बाहर आते हैं।

loksabha election banner

ऐसी है प्रभु की लीला

दरअसल, कानपुर देहात के शिवली में प्रचीन राधा कृष्ण मंदिर से 12 मार्च 2002 को बलराम, श्रीकृष्ण व राधा की तीन बड़ी व दो छोटी अष्टधातु की मूर्तियां चोरी हो गई थीं। मंदिर के सर्वराकर आलोक दत्त ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने सातवें दिन ही चोरों को गिरफ्तार करके मूर्तियां बरामद कर ली थीं। पुलिस ने कोतवाली के मालखाने में मूर्तियां रखवाने के बाद चोरों को जेल भेज दिया था। मामले में आरोपित तो जमानत पर रिहा हो गए लेकिन लीलाधर भगवान कृष्ण, बलराम व राधाजी को मालखाने की कैद से आजतक रिहाई नहीं मिल सकी है।

कानूनी दांवपेच में फंसी रिहाई

श्रीकृष्ण की रिहाई कानूनी दांवपेच में फंस गई है। थाने के मालखाने से निकालकर वापस मंदिर में विराजमान करने के लिए सर्वराकार ने काफी प्रयास किये लेकिन सफलता नहीं मिली। सर्वराकार का कहना है कि प्रभु इच्छा के बगैर सफलता मिलना संभव नहीं है, जब लीलाधर की मर्जी होगी वह खुद ही मंदिर में विराजमान हो जाएंगे।

जन्माष्टमी पर बाहर आते हैं प्रभु

सर्वराकार बताते हैं कि प्रतिवर्ष जन्माष्टमी पर प्रभु बाहर आते हैं। थाना प्रभारी और पुलिस कर्मी जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण भगवान समेत सभी मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकालते हैं। इसके बाद स्नान कराने के साथ नए वस्त्र धारण कराए जाते हैं और फिर रात में उनका पूजन किया जाता है।

थाने में प्रसाद का भी वितरण होता है। मौजूदा शिवली कोतवाल वीरपाल सिंह तोमर ने बताया कि माल मुकदमाती होने के कारण बरामद मूर्तियों को मालखाने में रखा गया है। परंपरा के चलते इस बार भी जन्माष्टमी पर मूर्तियों को बाहर निकालकर नए वस्त्र धारण कराए गए हैं। पूजन के बाद मूर्तियों को पुन: मालखाने में रखवा दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.