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सिपाही ने साली की गला घोंटकर हत्या की

कैंट थाने के सरकारी आवास में सुबह मिला शव, पत्नी के साथ साली को भी जबरन पत्नी बना रखा था, पुलिस ने आरोपित को हिरासत में लिया, मुकदमा दर्ज

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 01:34 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 10:24 AM (IST)
सिपाही ने साली की गला घोंटकर हत्या की
सिपाही ने साली की गला घोंटकर हत्या की

जागरण संवाददाता, कानपुर : एक सिपाही ने सोमवार रात साली की गला घोंटकर हत्या कर दी। पत्नी के साथ ही वह कैंट थाने के सरकारी आवास में साली को भी पत्नी की तरह रखकर रह रहा था। पिता की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपित सिपाही को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।

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मूलरूप से फतेहगढ़ निवासी सिपाही दिलीप कुमार की शादी 11 दिसंबर 2012 को हरदोई के रूपापुर निवासी डॉ. बृजपाल की बेटी बबली से हुई थी। डॉ. बृजपाल ने बताया कि वर्ष 2015 में बबली के बेटा होने पर छोटी बेटी बबिता उसकी देखभाल के लिए कानपुर आई। इस दौरान दिलीप उसका शारीरिक शोषण करने लगा। जानकारी होने पर वह बबिता को घर ले गए। जून 2017 में दिलीप ने रूपापुर आकर स्टांप पेपर पर समझौता कर बबिता को भी पत्नी की तरह साथ रखने की बात कही। इन्कार करने पर बबिता को जबरन कानपुर ले आया। जहां दोनों बेटियों को पत्नी की तरह रखने लगा। बड़ी बेटी के विरोध पर छोड़ने की धमकी दी। फिर अचानक दहेज की मांग शुरू कर दी और इन्कार पर बबिता की हत्या कर दी।

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जमीन पर पड़ा मिला शव

फोरेंसिक टीम को बबिता का शव जमीन पर पड़ा मिला। पंखे पर फंदा नहीं मिला, न ही लटकने के कोई लक्षण थे। आसपास कोई दुपंट्टा या रस्सी भी नहीं थी। गले पर मिला निशान भी फांसी के फंदे जैसा नहीं था। इस पर फोरेंसिक टीम के कहने पर पुलिस ने पैनल से पोस्टमार्टम कराया, जिसमें गला घोंटकर हत्या की बात सामने आई।

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आत्महत्या की बात कह गुमराह करते रहे दंपती

घटना के बाद सिपाही ने थाने में बबिता के आत्महत्या करने की जानकारी दी। पत्नी बबली ने बबिता को दौरे पड़ने और इसी वजह से उसके फांसी लगाने की बात कही।

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सिपाही के दारोगा पिता ने सुन लिया होता तो बेटी जिंदा होती

बबिता के पिता बृजपाल का आरोप है कि कानपुर में ही तैनात दिलीप के दारोगा पिता सोनेलाल सब जानते हुए चुप रहे। उनसे भी कई बार गुहार लगाई। अगर वह हस्तक्षेप करते तो बेटी जिंदा होती। बबिता को जबरन ले जाने के बाद दिलीप के खिलाफ कई प्रार्थनापत्र अधिकारियों को दिए, मगर किसी ने नहीं सुना।


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