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वरिष्ठ साहित्यकार का विवादास्पद बयान, अंग्रेजों के पिट्ठू थे राजा राममोहन राय

साहित्यकार डॉ. नरेंद्र कोहली ने कहा, अंग्रेजों ने गलत इतिहास लिखकर देश को बदनाम किया है।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 06:24 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 06:24 PM (IST)
वरिष्ठ साहित्यकार का विवादास्पद बयान, अंग्रेजों के पिट्ठू थे राजा राममोहन राय
वरिष्ठ साहित्यकार का विवादास्पद बयान, अंग्रेजों के पिट्ठू थे राजा राममोहन राय

कानपुर, जेएनएन : वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नरेंद्र कोहली ने राजा राममोहन राय पर विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि वह अंग्रेजों के पिट्ठू थे। उन्होंने अंग्रेजों के साथ मिलकर सती प्रथा के नाम पर देश का दुष्प्रचार किया। संपत्ति के झगड़े में घटी अपने परिवार की एक घटना के बाद वह सती प्रथा के खिलाफ बोले। भारत में सती प्रथा कभी थी ही नहीं। प्रथा उसे कहते हैं जो हर पीढ़ी में हो। हर पुरुष एवं स्त्री के साथ वह होना चाहिए। ऐसे चार उदाहरण नहीं मिलते हैं। इसके बाद भी भारत को बदनाम किया गया कि औरतों को वहां जला दिया जाता है।

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शहर में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले का बतौर मुख्य अतिथि उद्घाटन करने आए डॉ. कोहली ने बताया कि हमारे देश का इतिहास विदेशियों ने लिखा है। इसमें ऐसे तथ्यों को शामिल किया गया, जिससे देश का आत्मबल खत्म हो जाए। अंग्रेजों ने गलत इतिहास लिखकर देश को बदनाम किया है। जिन्होंने महिलाओं पर अत्याचार किए थे, उन्हें फांसी पर चढ़ाने की बजाय पूरी दुनिया में देश का दुष्प्रचार किया गया।

लेखन में आई गिरावट

उन्होंने कहा कि उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी, पत्रकारिता लेखन इन सभी में भाषा के दृष्टिकोण से गिरावट आई है। जिन शब्दों का अर्थ नहीं पता वह भी लिखा जा रहा है। शब्द की गरिमा होती है। अगर शब्द का अर्थ नहीं पता है तो उसे सीखना चाहिए। शब्द संपदा को संजोने की कोशिश करें।

सचिन तेंदुलकर नहीं बन सकते मेरे जैसे

डॉ.कोहली ने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर एक प्रतिभा होती है जिसे तराशकर वह शिखर तक पहुंचता है। मैं उपन्यासकार हूं कवि नहीं बन सकता है। इसी तरह सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के बेहतरीन खिलाड़ी हैं वह उसे अच्छा खेल सकते हैं लेकिन मेरी तरह साहित्यकार नहीं बन सकते हैं।

डेढ़ लाख से अधिक पुस्तकों से सजा मेला

सरयू नारायण बाल विद्यालय इंटर कालेज में शुरू हुए दस दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला में राजकमल, वाणी, राजपाल भारतीय ज्ञान पीठ, प्रभात, प्रकाशन संस्थान, अमन प्रकाश, नई किताब, जनचेतना व गार्गी प्रकाशन की डेढ़ लाख से अधिक पुस्तकें शामिल रहीं। इसमें शिक्षा, साहित्य, विज्ञान, प्रतियोगी परीक्षाएं व तकनीकी ज्ञान की पुस्तकें हैं। यहां पर अरुण प्रकाश अग्निहोत्री की पुस्तक 'यादों के झरोखे से' का विमोचन भी हुआ। विधायक नीलिमा कटियार, मानस मंच के संस्थापक डॉ. बद्रीनारायण तिवारी, साहित्यकार नीलांबर कौशिक व नंद किशोर मिश्र मौजूद रहे।


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