डिजिटल युग में साइबर अपराधियों से डाटा की सुरक्षा बड़ी चुनौती
डिजिटल युग में कंप्यूटर व इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच डाटा महफूज रखना भी बड़ी चुनौती है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : डिजिटल युग में कंप्यूटर व इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच डाटा महफूज रखना भी बड़ी चुनौती है। आज साइबर अपराधी एसी कमरों में बैठकर ऑनलाइन इन पर नजर रखे हुए हैं और मौका पाकर धोखाधड़ी कर लेते हैं। अक्सर बैंक से ऑनलाइन रुपये निकल जाना इसी का परिणाम है। सिस्टम को फुलप्रूफ बनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) लगातार शोध कर रहा है। आइआइटी में चल रही अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा प्रतियोगिता के अंतिम दिन देशभर से चुनकर आए इंजीनिय¨रग छात्र छात्राओं को जानकारी देने के साथ ही इन चुनौतियों से निपटने के टास्क दिए गए।
शनिवार को प्रतियोगिता के दूसरे व अंतिम दिन समन्वयक एवं कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संदीप शुक्ला ने बताया कि दो साल पहले बांग्लादेश के एक बैंक से हैकर्स ने 82 मिलियन डॉलर चुराए थे। जिस तरह बैंक पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हो रहे हैं उनकी सुरक्षा भी चुनौती बनती जा रही है। आइआइटी कानपुर ऐसी नई तकनीक पर शोध कर रहा है जो इन्हें महफूज कर सके।
रेलवे सिग्नल हैकर्स से बचाने की चुनौती
रेलवे सिग्नल सिस्टम में बदलाव करके इसे और हाईटेक बना रहा है। रेलवे सिग्नल को काफी हद तक कंप्यूटरीकृत व डिजिटल किया जा चुका है। ऐसे में हैकर्स से इसे सुरक्षित रखने के लिए नई तकनीक ईजाद करने की जरूरत भी है। आइआइटी कानपुर इस दिशा में काम कर रहा है।
पिनकोड से चलेंगी कार और बाइक
उन्होंने बताया कि कार व बाइक भी कंप्यूटरीकृत बनाए जा रहे हैं। विदेशों में टॉप सिक्योरिटी इंजीनियर ऐसी कारें बना रहे हैं जो पिनकोड से चलेंगी। बिना पिनकोड डाले इन्हें स्टार्ट नहीं किया जा सकता है। यहां भी ऐसी तकनीक पर काम हो रहा है। हाईटेक कारें हमारे सामने होंगी जिनमें पिनकोड के अलावा स्टेय¨रग व गेयर में भी सिक्योरिटी फीचर लगाए जाएंगे। इन कारों की सुरक्षा पूरी तरह कंप्यूटरीकृत होगी इसलिए हैकर्स की नजर भी इस पर होगी। हाईटेक सिग्नल व कंप्यूटरीकृत वाहनों की सुरक्षा को चाक चौबंद बना सकते हैं।