Move to Jagran APP

आतंकियों के पकड़े जाने के बाद शहर में टेरर फंडिंग करने वालों की तलाश तेज

गिरफ्तार आतंकियों से जुड़े कानपुर परिक्षेत्र में नेटवर्क बनाने वाले रमेश शाह के तार, बाहर रहने वालों के अचानक शहर लौटने पर रखी जा रही नजर।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 02:40 PM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 10:49 AM (IST)
आतंकियों के पकड़े जाने के बाद शहर में टेरर फंडिंग करने वालों की तलाश तेज
आतंकियों के पकड़े जाने के बाद शहर में टेरर फंडिंग करने वालों की तलाश तेज
कानपुर, जागरण संवाददाता। एनआइए की छापेमारी में दस आतंकी पकड़े जाने के बाद अब कानपुर में भी टेरर फंडिंग करने वालों की तलाश तेज कर दी गई है। इसका कारण है कि आतंकियों को फंडिंग करने के मामले में 19 जून को पुणे से गिरफ्तार रमेश नयन शाह का कानपुर कनेक्शन। वह कानपुर परिक्षेत्र में नेटवर्क बना रहा था। अब आतंकियों की धरपकड़ के बाद मिले इनपुट से भी साफ हो गया है कि कानपुर से भी उन्हें फंडिंग हो रही थी। टेरर फंडिंग नेटवर्क को तोडऩे के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने कानपुर में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। शहर में कुछ दिनों पहले आकर बसने वालों व काफी समय से शहर से बाहर रहने के बाद अचानक लौटने वालों पर नजर रखी जा रही है।
गोरखपुर के रमेश नयन शाह को जब एटीएस ने गिरफ्तार किया था, तभी से सुरक्षा एजेंसियां ने कानपुर में उससे जुड़े लोगों की तलाश में जुट गई थीं। वैसे भी आयुध के साथ ही प्रौद्योगिकी संस्थान, एयरपोर्ट व गैस प्लांट सरीखे अहम संस्थानों की वजह से कानपुर स्लीपिंग माड्यूल्स की पाठशाला माना जाता है। खुफिया रिपोर्ट और शहर में पकड़े गए आतंकी, पाकिस्तान एजेंट और नक्सली इसकी पुष्टि करते हैं। रमेश भी आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने के लिए फंड की व्यस्था कर रहा था। एनआइए द्वारा पकड़े गए आतंकियों से मिले इनपुट में कानपुर के कुछ लोगों के नाम सामने आए हैं, जो टेरर फंडिंग कर रहे थे।
सुरक्षा एजेंसी इनके बारे में और उन तक पैसा पहुंचने के माध्यम की जानकारी खंगाल रही है। बता दें, सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में विस्फोट का मास्टर माइंड गौस मोहम्मद जाजमऊ का रहने वाला था। उसके साथी मो. दानिश और आतिफ इसी इलाके के ही हैं जबकि मुठभेड़ में मारा गया सैफुल्लाह पड़ोसी था। कन्नौज का सैयद मीर हुसैन भी उसका साथी है। गौस शहर में खुरासान माड्यूल के जरिए आतंकियों की पाठशाला चला रहा था, जिसमें शहर व आसपास के करीब 75 लोग शामिल हो रहे थे।
हालांकि, एटीएस उन्हें मुख्यधारा में वापस ले आई। इसके बाद एयरफोर्स स्टेशन के पास एक घर से सिद्धि विनायक मंदिर को उड़ाने की साजिश करने वाले आतंकवादी कमरुज्जमां को पकड़ा गया था। उसके दो साथियों का अब तक पता नहीं है। उधर, रमेश शाह जिन खातों के माध्यम से टेरर फंडिंग का खेल कर रहा था, उसमें से कुछ कानपुर के भी हैं। इस जानकारी से सुरक्षा एजेंसियों ने कानपुर में सक्रियता बढ़ा दी थी।
बैंक से निष्क्रिय खातों में आने वाली रकम पर नजर
सुरक्षा एजेंसियां बैंक के निष्क्रिय खातों में अचानक रकम आने और कुछ ही दिनों बाद निकलने पर नजर रखे हुए हैं। टेरर फंडिंग में फर्जी आइडी से खुलवाए गए ऐसे ही खातों से लेनदेन किया जाता है।  

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.