तंगहाल मूर्तिकारों का संकट हरेंगे विघ्नहर्ता, प्रशासन की अनुमति पर टिकी हैं उम्मीदें
कोरोना संक्रमण में लाकडाउन के चलते धार्मिक कार्यक्रम पर रोक के दौरान मूर्तिकारों का धंधा बंद था अब लाकडाउन खत्म होने के बाद एक बार फिर आस जागी है। मूर्तिकार गणेश महोत्सव के लिए एक से तीन फीट तक की छोटी प्रतिमाएं बना रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के कारण मूर्तिकार लंबे समय से तंगहाली में हैं। कोरोना के कारण दो बार से गणपति महाराज पंडालों में नहीं विराजे हैं। इस बार दस सितंबर से शुरू होने वाले गणेश महोत्सव के लिए मूर्तिकारों ने बड़ी संख्या में गणपति की मूर्तियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। मूर्तिकार प्रशासन द्वारा महोत्सव की अनुमति दिए जाने की उम्मीद लगाए हैं।
साकेत नगर में 30 वर्षों से प्रतिमाएं बना रहे मूर्तिकार आनंद मूर्ति ने बताया कि वह राजस्थान से आकर गणपति बप्पा की प्रतिमाएं बनाते हैं। इस बार उम्मीद है कि छोटी प्रतिमाओं को पंडालों में स्थापित करने की अनुमति प्रशासन देगा। वहीं, बंगाल से आकर प्रतिमा बनाने वाले प्रताप पाल ने बताया, पिछले वर्ष चंद छोटी प्रतिमाएं ही बिकी थीं। इस बार एक से तीन फीट तक की गणेश जी के विभिन्न रूपों की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं।
कम संख्या में शहर आए मूर्तिकार : मूर्तिकारों के मुताबिक अभी प्रतिमाओं के आर्डर नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर मूर्तिकार घरों के लिए छोटी प्रतिमाएं बना रहे हैं। बंगाल व राजस्थान से आने वाले मूर्तिकार कम संख्या में शहर आए हैं।
कई जिलों में जातीं प्रतिमाएं : मूर्तिकार बताते हैं कि शहर में लगभग पांच हजार स्थानों पर छोटी प्रतिमाएं पंडालों में स्थापित होती है। वहीं उन्नाव, फतेहपुर, लखनऊ, कन्नौज, बाराबंकी, झांसी, जालौन सहित कई जिलों में शहर से गणेश जी की मूर्तियां आर्डर पर भेजी जाती हैं, जिसका इस बार आर्डर नहीं मिला है।
शहर में भी कई जगह लगते रहे पंडाल : गणेश महोत्सव शहर में कई स्थानों पर मनाया जाता है और बड़े पंडाल लगाए जाते हैं। बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते आयोजन न होने से मूर्तिकारों का कारोबार चौपट हो गया था। इस वर्ष लाकडाउन खुलने के बाद एक बार फिर मूर्तिकारों को उम्मीद है कि प्रतिमाओं की बिक्री होगी। इस बार छोटी प्रतिमा इसलिए भी तैयार कर रहे हैं कि अगर मैदान में पंडाल लगाने की अनुमति नहीं भी दी गई तो लोग घरों में मूर्ति स्थापना के लिए जरूरी खरीदारी करेंगे।