उन्नाव में घुसपैठियों को लेकर हुआ नया खुलासा, तीन मोहल्लों और दो गांवों में पांच सौ मानव तस्कर
खुफिया सूत्र बताते हैं शहर का आवास विकास कॉलोनी मोहल्ला घुसपैठियों और स्लीपर सेल के सदस्यों का बड़ा केंद्र है। उसके बाद कंजी वसीरतगंज गुजौली व शिव नगर हैं। प्रदेश में गोरखपुर और बहराइच घुसपैठियों की इंट्री का बड़ा प्वाइंट है।
उन्नाव, जेएनएन। रोहिंग्या शाहिद के पकड़े जाने के बाद जिले में घुसपैठियों को लेकर खुफिया विभाग की जुटाई जानकारी हैरान करने के साथ ही डराने वाली भी है। जिले में करीब 500 घुसपैठिए जमे हैं। शहर के तीन मोहल्लों और दो गांवों में इनका ठिकाना है। इनमें एक दर्जन तो स्लीपर सेल के सदस्य हैं। इन सबका कनेक्शन दूसरे देशों से है। जिले में इनकी इंट्री का मुख्य केंद्र स्लाटर हाउस और चर्म उद्योग हैं, जहां पर वे न सिर्फ काम करते हैं, बल्कि अपने नेटवर्क को फैला रहे हैं। ये सभी अब खुफिया विभाग के निशाने पर हैं।
जिले की औद्योगिक इकाइयों में ठेकेदारी प्रथा पूरी तरह हावी है। इकाइयों में कामगारों की जरूरत ठेकेदार ही पूरा करते हैं। नेपाल, बंगाल, असम के रास्ते से आए घुसपैठियों की इंट्री कराने से भी परहेज नहीं करते। औद्योगिक इकाइयों में अंदरखाने क्या चल रहा है, इसकी जानकारी बाहर नहीं आती। जो लोग लाए जाते हैं, उन्हें न केवल औद्योगिक इकाइयों में काम मिलता है, बल्कि सिर छिपाने का ठिकाना भी मुहैया कराया जाता है। खुफिया तंत्र पिछले तीन वर्षों से स्लाटर हाउस और चर्म उद्योगों के कामगारों के साथ घुसपैठियों का भी डाटा एकत्र करने में लगा है। इसी में यह बात सामने आई कि करीब पांच सौ घुसपैठिए जिले में मौजूद हैं। इनमें स्लीपर सेल के सदस्य भी हैं। इन पर नजर रखने के साथ इनकी पूरी कुंडली खंगाली जा रही है। आधार कार्ड से लेकर बैंक अकाउंट तक का पता लगा लिया गया है।
खुफिया सूत्र बताते हैं शहर का आवास विकास कॉलोनी मोहल्ला घुसपैठियों और स्लीपर सेल के सदस्यों का बड़ा केंद्र है। उसके बाद कंजी, वसीरतगंज, गुजौली व शिव नगर हैं। प्रदेश में गोरखपुर और बहराइच घुसपैठियों की इंट्री का बड़ा प्वाइंट है। वहीं उन्नाव की औद्योगिक इकाइयों में जो ठेकेदार हैं, उनके तार नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के ठेकेदारों से जुड़े हुए हैं। ठेकेदार इनको लाते हैं और फिर औद्योगिक इकाइयों में काम पर रख लिया जाता है।