ढाबे में डाका, भाजपा नेता समेत 19 पर मुकदमा
कानपुर देहात के घाटमपुर में मुगल रोड पर भदवारा गांव के पास घटना हुई। असलहों से लैस हमलावरों की अगुवाई कर रहे थे भाजपा मंडल अध्यक्ष
संवाद सहयोगी, घाटमपुर : सजेती क्षेत्र में मुगल रोड पर भदवारा गांव के समीप एक ढाबे में पहुंचे डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों ने ढाबा संचालक के भाई की बंदूक की बट से पिटाई करने के साथ ही जमकर तोड़फोड़ की। आरोप है कि भाजपा मंडल अध्यक्ष अवनीश साहू के साथ पहुंचे लोगों ने होटल से 45 हजार रुपये भी लूट लिए।
बिधनू क्षेत्र के गांव अफजलपुर निवासी अबरार अहमद भदवारा के समीप प्रताप पाल की भूमि पर कई वर्ष से ढाबा चलाते हैं। ढाबा संचालक और भूमि मालिक का बीते कई दिनों से लेनदेन को लेकर विवाद चल रहा था। इसकी शिकायत पुलिस की चौखट तक भी पहुंची थी। आरोप है कि शनिवार मध्य रात के बाद नौरंगा निवासी भाजपा मंडल अध्यक्ष अवनीश साहू के साथ गांव भदवारा निवासी प्रताप पाल, उसके पुत्र रोहित, राहुल, सौरभ व संदीप पाल, गांव के ही कल्लू पाल एवं गांव चंदापुर निवासी बेटू उर्फ प्रशांत सचान और पीयूष सचान 8-10 अज्ञात साथियों के साथ जायज-नाजायज असलहों के साथ ढाबे में पहुंचे। प्रताप पाल ने मौके पर मिले अबरार के भाई इरशाद अहमद (18) को घेर लिया और अपने भाइयों को बुलाने को कहने लगा। अवनीश साहू के ललकारने पर प्रताप ने लाइसेंसी बंदूक की बट व अन्य लोगों ने लोहे की रॉड और डंडों से इरशाद की पिटाई शुरू कर दी। बचाने का प्रयास करने पर हमलावरों ने ढाबा कर्मचारियों को भी पीटा। सौरभ पाल व प्रशांत सचान ने काउंटर पर कर्मचारी को तमंचा अड़ा कर 45 हजार रुपये लूट लिए। ढाबा संचालक का आरोप है कि भाजपा मंडल अध्यक्ष अवनीश साहू उससे 20 हजार रुपये प्रतिमाह की रंगदारी मांगते हैं। अबरार अहमद ने फोन से घटना की सूचना एसएसपी व एसपी ग्रामीण को दी। इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और ढाबे में मिली दो बाइकों को कब्जे में ले लिया। इसके बाद भदवारा में छापा मारकर प्रताप पाल व कल्लू पाल को हिरासत में लेकर थाने ले आई। क्षेत्राधिकारी आरके चतुर्वेदी ने बताया कि ढाबा संचालक की तहरीर पर डकैती, रंगदारी मांगने आदि की दफाओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। दो आरोपितों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कराई गई है।
भाजपा मंडल अध्यक्ष अवनीश साहू ने आरोपों को नकारते हुए कहा भूमि स्वामी प्रताप पाल और ढाबा संचालक अबरार अहमद के बीच पैसे के लेनदेन का विवाद है। उन्होंने प्रताप पाल के पक्ष में पैरवी की थी। वह ढाबा नहीं गए थे। रंगदारी मांगने का तो सवाल ही पैदा नही होता। उन्होंने पूरी घटना को गढ़ी गई कहानी करार दिया है।