Move to Jagran APP

औरैया हादसा: घर जाने की खुशी में प्रवासी कामगार ऐसा सोए कि हमेशा के लिए बंद हो गईं उनकी आंखें

road accident in auraiya uttar Pradeshऔरैया में ढाबे के सामने रुके ट्राला ट्रक पर लदी चूने की बोरियों के ऊपर कई प्रवासी कामगार सो रहे थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 08:11 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 08:11 PM (IST)
औरैया हादसा: घर जाने की खुशी में प्रवासी कामगार ऐसा सोए कि हमेशा के लिए बंद हो गईं उनकी आंखें
औरैया हादसा: घर जाने की खुशी में प्रवासी कामगार ऐसा सोए कि हमेशा के लिए बंद हो गईं उनकी आंखें

औरैया, जेएनएन।[auraiya road accident latest update] लॉकडाउन में दूसरे राज्यों फंसे प्रवासी मजदूरों को अब सिर्फ अपना घर ही मंजिल की तरह दिखाई दे रहा है, ऐसे हजारों परिवार अब अस्थाई ठिकाना छोड़कर गांव की ओर रुख कर चुके हैं। इन्हीं में वो 26 प्रवासी मजदूर भी थे, जो औरैया में हादसे का शिकार होकर अपनी जान गंवा बैठे। सैकड़ों किमी पैदल चलने के बाद किसी को ट्राला तो किसी को डीसीएम की सवारी मिली तो घर जाने की खुशी में उसपर ऐसा सोए कि फिर आंखें खोल न सके। 

loksabha election banner

घर लौटने के लिए मांगा चंदा

लॉकडाउन में घर जाने की चाहत में कामगारों ने बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा। पापड़ बेले। फरीदाबाद व गुरुग्राम से पैदल चलकर दिल्‍ली तक आए और यहां पर डीसीएम बुकिंग की। 4500-4500 रुपये किराए के लिए कामगारों ने चंदा करके धन जुटाया। डीसीएम पर सवार होकर खुशी खुशी घर के लिए निकल पड़े लेकिन उन्हें क्या पता था कि डीसीएम उनके लिए मौत बनकर आई है। जिला अस्पताल में भर्ती गाजियाबाद निवासी वंदना ने बताया कि मूल रूप से छतरपुर निवासी हैं और लॉकडाउन के चलते पति पहले गांव चले गए थे। 20 लोगों ने 4500-4500 रुपये मिलाकर डीसीएम बुक की थी और शुक्रवार शाम करीब छह बजे पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे थे। उनके साथ पुत्री योगिता व पुत्र योगेश तथा मामा की लड़की शशि थी।

ट्राला पर लदी चूने की बोरियों के ऊपर सोए थे कामगार

डीसीएम पर सवार हुए प्रवासी कामगारों की तरह ही ट्राला ट्रक पर सवार प्रवासी कामगारों की भी कहानी है। बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जाने के लिए प्रवासी कामगार ट्राला ट्रक पर सवार हुए थे। घायलों ने बताया कि काफी दूर पैदल चलने के बाद जब ट्रक ट्राला का साधन मिला तो सभी के चेहरों पर घर जल्दी पहुंचने की खुशी झलक रही थी। ट्राला ट्रक ढाबे पर रुका और चालक परिचालक चाय पीने के लिए उतर गए। इस दरमियान ट्राले पर लदी चूने की बोरियों के ऊपर सभी प्रवासी कामगार गहरी नींद में सो रहे थे। इसी बीच डीसीएम की टक्कर लगते ही ट्राला पलट गया और सो रहे प्रवासी कामगारों की आंखें हमेशा के लिए बंद हो गईं। ज्यादातर प्रवासी कामगारों की मौत की वजह मुंह और श्वास नली में चूना भर जाना रहा।

यह भी पढ़ें :- टोल प्लाजा की टाइमिंग दे रही कुछ और गवाही, डीसीएम और ट्राला की ट्रैवल हिस्ट्री में सामने आईं कई बातें

यह भी पढ़ें :- चूना भी हो सकती मौतों की वजह, चंद मिनट में थम गईं प्रवासी श्रमिकों की सांसें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.