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कानपुर हिंसा : रबर बुलेट की मार से ही पीछे हटे थे उपद्रवी, पिस्टल से भी करनी पड़ी थी फायरिंग Kanpur News

सीएए के विरोध में 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा में बचाव के लिए पुलिस ने हवा में दागी थीं गोलियां।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 12:05 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 05:38 PM (IST)
कानपुर हिंसा : रबर बुलेट की मार से ही पीछे हटे थे उपद्रवी, पिस्टल से भी करनी पड़ी थी फायरिंग Kanpur News
कानपुर हिंसा : रबर बुलेट की मार से ही पीछे हटे थे उपद्रवी, पिस्टल से भी करनी पड़ी थी फायरिंग Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद शहर में हुई हिंसा के दौरान हालात बेकाबू हो गए थे, तब पुलिस ने अपने बचाव में हवाई गोलियां दागी थीं। इस उपद्रव में पुलिस का साथ दिया रबर बुलेट ने, जिसके दम पर उपद्रवियों को काबू करने में सफलता मिली। रबर बुलेट की चोट खाकर ही उपद्रवी पीछे हटने को मजबूर हुए।

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थ्री नाट थ्री रायफल से भी किए गए 34 फायर

जिला पुलिस ने ये दावा पुलिस मुख्यालय को भेजी गई गोपनीय रिपोर्ट में किया है। हिंसा के बाद से पुलिस लगातार दावा करती रही है कि उसकी ओर से कोई भी फायङ्क्षरग नहीं की गई, मगर मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट में कुछ और ही है। इसमें कहा गया है कि बाबूपुरवा में ङ्क्षहसक भीड़ को संभालने के लिए पुलिस को 9एमएम की पिस्टल से भी फायङ्क्षरग करनी पड़ी। हालांकि यह हवाई फायर थे। बवालियों को आतंकित करने के लिए पुलिस ने बाबूपुरवा और यतीमखाना में थ्री नॉट थ्री रायफल से भी 34 फायर किए। हालांकि यह सभी ब्लैंक कार्टेज थे जो केवल आवाज करते हैं। इनसे किसी को जानमाल का नुकसान नहीं होता है।

पंप एक्शन गन से हुए 26 फायर

इसके अलावा पुलिस, पीएसी और आरएएफ ने दोनों ही स्थानों पर 12 बोर की पंप एक्शन गन से 26 फायर किए। पंप एक्शन गन का प्रयोग भीड़ को तितर बितर करने के लिए 20 मीटर दूर से किया जाता है। इसमें कारतूस के छर्रे तेजी के साथ बड़े क्षेत्रफल में फैलते हैं और एक साथ कई लोगों को घायल करते हैं। जानकारों के मुताबिक कम दूरी से इसका प्रयोग किए जाने पर व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

टियर गैस के गोलों से फोर्स ही हुआ अधिक प्रभावित

फोर्स ने सर्वाधिक प्रयोग रबर बुलेट गन का किया। इसमें एंटी राइट गन से 43 व 38एमएम रबर बुलेट के 42 कारतूसों का प्रयोग हुआ। उपद्रवियों पर टियर गैस के गोलों का भी इस्तेमाल हुआ, लेकिन इससे फोर्स ही सर्वाधिक प्रभावित रही। टियर गैस के 89 गोले दागे गए। इसके अलावा पुलिस की ओर से टू इन वन के आठ और दो चिली बम का प्रयोग भी किया गया। बवालियों की ओर से भी गोलीबारी का जमकर प्रयोग हुआ। बाबूपुरवा और यतीमखाना में 69 खाली कारतूस के खोखे बरामद हुए, जो 32 बोर, 312 और 315 बोर के हैं।  


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