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झींझक पर अब बंद हुआ रीवा एक्सप्रेस का ठहराव, राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र

झींझक स्टेशन पर रीवा एक्सप्रेस का ठहराव बंद होने का मुद्दा राष्ट्रपति तक पहुंच गया है। बता दें कि राष्ट्रपति जब सांसद थे तब ट्रेन का ठहराव झींझक स्टेशन पर शुरू हुआ था। झींझक की एक बड़ी आबादी के लिए यातायात का बड़ा माध्यम ट्रेन हैं।

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 01:07 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 01:07 PM (IST)
रीवा एक्सप्रेस डाउन का ठहराव एक दो दिन झींझक स्टेशन पर रहा

कानपुर, जेएनएन। झींझक स्टेशन पर रीवा एक्सप्रेस का ठहराव बंद होने का मुद्दा राष्ट्रपति तक पहुंच गया है। बता दें कि राष्ट्रपति जब सांसद थे तब ट्रेन का ठहराव झींझक स्टेशन पर शुरू हुआ था। झींझक की एक बड़ी आबादी के लिए यातायात का बड़ा माध्यम ट्रेन हैं। इसे देखते हुए तत्कालीन राज्यसभा सदस्य और वर्तमान में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रयास से 16 अक्टूबर 2007 को रीवा एक्सप्रेस का ठहराव झींझक स्टेशन पर शुरू हुआ था। रीवा से आनंद विहार जाने वाली यह ट्रेन तब से नियमित झींझक स्टेशन पर रूक रही थी। लॉकडाउन के बाद ट्रेनों का संचालन बंद हुआ तो यह ट्रेन भी बंद हो गई। अब अनलॉक में ट्रेन शुरू हुई तो झींझक पर ठहराव खत्म कर दिया गया। इस संबंध में तत्कालीन सांसद प्रतिनिधि व चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल के सदस्य श्याम मोहन दुबे ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब झींझक स्टेशन पर ट्रेन का ठहराव शुरू हुआ था तब महामहिम ने ही हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को आगे के लिए रवाना किया था। लॉकडाउन में ट्रेनों का संचालन दोबारा शुरू हुआ तो रीवा एक्सप्रेस डाउन का ठहराव एक दो दिन झींझक स्टेशन पर रहा। उसके बाद इसे भी बंद कर दिया गया जबकि दिल्ली और गाजियाबाद से बड़ी संख्या में झींझक स्टेशन पर यात्री आते हैं। 

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यहां के बाशिंद रेलवे पर हैं निर्भर

झींझक में रहने वाले भी यातायात के नाम पर रेलवे पर निर्भर हैं। ऐसे में राष्ट्रपति को पत्र भेजकर क्षेत्रीय निवासियों की समस्या बताते हुए ट्रेन का ठहराव पुन: शुरू कराने की मांग की है। पत्र को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रपति कार्यालय के अवर सचिव अशोक कुमार ने रेलवे बोर्ड को उचित कार्यवाई के लिए पत्र लिखा है। इसकी एक प्रति उन्हेंं भी प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा रीवा का ठहराव क्षेत्रीय जनता के हित में जरूरी है। आवश्यकता पड़ी तो राष्ट्रपति के समक्ष जाकर इस समस्या का रखेंगे।


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