दिवंगत आइएएस के फर्जी हस्ताक्षर से रिटायर्ड मेजर बन गए प्रशासनिक न्यासी, डीसीपी पूर्वी को जांच
आरोप है कि सेना के एक रिटायर्ड मेजर ने दिवंगत आइएएस के फर्जी हस्ताक्षर करके न्यास की संपत्ति पर कब्जा कर लिया। इस मामले में पुलिस आयुक्त से शिकायत की गई है। इसकी जांच डीसीपी पूर्वी को दी गई है।
कानपुर, जेएनएन। महानगर में धाॢमक स्थलों को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। ताजा मामला पूर्व आइएएस दिवंगत रामशरण श्रीवास्तव से जुड़े आध्यात्मिक सेवा न्यास का है। आरोप है कि सेना के एक रिटायर्ड मेजर ने दिवंगत आइएएस के फर्जी हस्ताक्षर करके न्यास की संपत्ति पर कब्जा कर लिया। इस मामले में पुलिस आयुक्त से शिकायत की गई है। इसकी जांच डीसीपी पूर्वी को दी गई है। पूर्व आइएएस रामशरण श्रीवास्तव मंदिर आंदोलन के समय अयोध्या के डीएम थे। उन्होंने अयोध्या मामले पर किताब भी लिखी।
मामला कोतवाली थाना क्षेत्र में गुप्तार घाट स्थित हंसानंद सार्वजनिक सत्संग एवं आध्यात्मिक सेवा न्यास से जुड़ा है। पूर्व आइएएस रामशरण श्रीवास्तव इस ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी थे। स्वामी हंसानंद के शिष्य रंजीत सिंह व उनके अधिवक्ता बीके शुक्ला ने बताया कि सेना से रिटायर्ड मेजर रैंक के एक अधिकारी को भी वर्ष 2016 में न्यासी बनाया गया। आरोप है कि पूर्व आइएएस के निधन के बाद रिटायर्ड मेजर ने उनके फर्जी हस्ताक्षर दर्शाकर स्वयं को न्यास का प्रशासनिक न्यासी घोषित कर लिया। इसके बाद आश्रम से साधु संतों को मारपीट करके बाहर कर दिया। आश्रम पर अब रिटायर्ड मेजर का कब्जा है और उन्होंने आश्रम किराए पर उठा दिया है। अधिवक्ता बीके शुक्ला ने बताया कि हस्ताक्षर विशेषज्ञ ने भी पूर्व आइएएस के हस्ताक्षर को फर्जी बताया है। डीसीपी पूर्वी अनूप कुमार सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।