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आइआइटी में इंजीनियरिग के साथ होगी मेडिसिन पर रिसर्च

आइआइटी देश का पहला ऐसा संस्थान होगा जिसमें छात्र छात्राएं इंजीनियरिग के साथ मेडिसिन के क्षेत्र में रिसर्च कर सकेंगे। इससे चिकित्सा क्षेत्र के लिए नई तकनीक व उपकरण इजाद करना आसान हो जाएगा जिसका लाभ मरीजों को मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 01:47 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:19 AM (IST)
आइआइटी में इंजीनियरिग के साथ होगी मेडिसिन पर रिसर्च
आइआइटी में इंजीनियरिग के साथ होगी मेडिसिन पर रिसर्च

जागरण संवाददाता, कानपुर : आइआइटी देश का पहला ऐसा संस्थान होगा जिसमें छात्र छात्राएं इंजीनियरिग के साथ मेडिसिन के क्षेत्र में रिसर्च कर सकेंगे। इससे चिकित्सा क्षेत्र के लिए नई तकनीक व उपकरण इजाद करना आसान हो जाएगा जिसका लाभ मरीजों को मिलेगा। रिसर्च में यह देखा जाएगा कि मैटीरियल साइंस, केमिकल इंजीनियरिग, बायो टेक्नोलॉजी व इलेक्ट्रिकल समेत इंजीनियरिग व टेक्नोलॉजी की अन्य ब्रांच में विकसित की जा रही तकनीक का प्रभाव मेडिसिन के क्षेत्र में क्या पड़ रहा है? शुक्रवार को मेहता फाउंडेशन ने इस केंद्र के लिए आइआइटी प्रशासन को 20 करोड़ रुपये का अनुदान दिया।

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आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर व मेहता फाउंडेशन के प्रमुख राहुल मेहता ने इसके अंतर्गत एक करार भी किया। प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि दस हजार वर्ग मीटर में यह सेंटर स्थापित किया जा रहा है जिसका भूमि पूजन शनिवार को होगा। छह करोड़ की लागत से इमारत बनेगी जबकि यह पूरा प्रोजेक्ट दो वर्ष का है। इस प्रोजेक्ट के लिए इंटरनेशनल एडवाइजरी कमेटी बना दी गई है जिसका चेयरमैन कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शंकर सुब्रमण्यम को नियुक्त किया गया है। सेंटर फॉर इंजीनियरिग एंड मेडिसिन का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही शोध कार्य प्रारंभ हो जाएगा। इसकी शुरुआत शनिवार से बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिग ब्रांच से कर दी जाएगी। इस केंद्र में करीब 25 प्रोफेसर होंगे जबकि सौ से 125 पीएचडी छात्र, 40 से 50 एमटेक छात्र व 25 से 30 एमएस छात्र छात्राओं को यह मौका मिलेगा। इस केंद्र में अधिकतम 200 छात्र छात्राएं प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे।

विश्वस्तरीय चिकित्सा विशेषज्ञ होंगे सदस्य :

प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि यह पहली बार है जब छात्र छात्राएं इंजीनियरिग व मेडिकल का एक साथ अध्ययन करेंगे। इसका उद्देश्य आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके मरीजों तक बेहतरीन उपकरण पहुंचाना है। इसके लिए विश्वस्तरीय चिकित्सकों की मदद ली जाएगी। इसमें विश्वस्तरीय चिकित्सा विशेषज्ञों भी सलाहाकार के रूप में शामिल होंगे जिससे जटिल रोगों में कारगर चिकित्सीय उपकरण की तकनीक यहां विकसित की जा सके।


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