Religion Conversion UP: 350 युवा हिंदुओं पर थी उमर गौतम की नजर, एटीएस की जांच में सामने आई बड़ी जानकारी
एटीएस सूत्रों के मुताबिक उमर ने कानपुर में मतांतरण की कमान विश्वस्त सहयोगी मोहम्मद ओमर जहांगीर को सौंपी थी। यहां चिह्नति किए गए युवाओं की संख्या 350 के आसपास थी इसलिए जहांगीर ने दो दर्जन ट्रेनर भी तैयार कर लिए थे। इनमें कुछ कानपुर के थे
कानपुर, जेएनएन। मतांतरण मामले की जांच कर रही आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) को एक नई बड़ी जानकारी मिली है। इस्लामिक दावाह सेंटर का मुखिया उमर गौतम इस साल बड़ी संख्या में मतांतरण कराने जा रहा था। अकेले कानपुर में ही उसकी नजर 350 हिंदू युवाओं पर थी, जिनका मतांतरण कराया जाना था। इसके लिए दो दर्जन ट्रेनर कानपुर में तैयार किए गए थे।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक, उमर ने कानपुर में मतांतरण की कमान विश्वस्त सहयोगी मोहम्मद ओमर जहांगीर को सौंपी थी। यहां चिह्नति किए गए युवाओं की संख्या 350 के आसपास थी, इसलिए जहांगीर ने दो दर्जन ट्रेनर भी तैयार कर लिए थे। इनमें कुछ कानपुर के थे, जबकि दूसरे बाहर से बुलाए गए थे। इनका खर्च इस्लामिक दावाह सेंटर उठाता था। इन्हेंं टारगेट दिया गया था कि वह संभ्रांत और मूक-बधिर युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाकर मतांतरण के लिए युवाओं को तैयार करेंगे। जो डायरी और दस्तावेज उमर गौतम के यहां से मिले हैं, उसमें कानपुर में होने वाले मतांतरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इस वर्ष दिसंबर तक मतांतरण कराने का लक्ष्य तय किया गया था। कानपुर की तरह ही प्रदेश में कई और शहरों में इसी तरह से लक्ष्य तय किए गए थे। इन स्थानों पर भी ट्रेनर तैनात किए जाने थे। इससे पहले एटीएस ने उमर गौतम और जहांगीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
मुख्यमंत्री की चौखट पर जाएगा दावत-ए-इस्लामी का मुद्दा : सूफी इस्लामिक बोर्ड अब मुख्यमंत्री से मिलकर पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी की कारगुजारियों की शिकायत करेगा। संगठन पर कार्रवाई और पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग भी की जाएगी। बोर्ड मुख्यमंत्री से समय लेने का प्रयास कर रहा है।
मतांतरण की साजिश में जहां उमर गौतम पर कानून का शिकंजा कस चुका है, वहीं दावत-ए-इस्लामी पर भी सूफी इस्लामिक बोर्ड ने अंगुली उठाई है। बोर्ड ने इस संगठन पर मतांतरण के साथ ही जगह-जगह रखे डोनेशन बाक्स में एकत्र होने वाले चंदे का उपयोग गलत कार्यों में किए जाने के आरोप लगाए हैं। बोर्ड के प्रवक्ता सूफी कौसर हसन मजीदी इस मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर डीसीपी रवीना त्यागी से मिल चुके हैं। प्रवक्ता का आरोप है कि प्रशासन दावत-ए-इस्लामी पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। भारत में रहकर पाकिस्तान से प्रेम बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब मुख्यमंत्री से मिलकर दावत-ए-इस्लामी पर कार्रवाई व प्रतिबंध की मांग करेंगे।
प्रचार के लिए इंटरनेट मीडिया का ले रहा सहारा : दावत-ए-इस्लामी अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए इंटरनेट मीडिया का भी सहारा ले रहा है। वीडियो अपलोड किए जाते हैं। अधिकांश इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर दावत-ए-इस्लामी के अकाउंट हैं। आनलाइन डोनेशन का विकल्प भी खोल रखा है।