झूठा था छह लोगों के खिलाफ दर्ज कराया गया मुकदमा, हमला नहीं हादसा था जाजमऊ का गोलीकांड
एक महीने पहले शादी समारोह में किशोर और अपराधी के भाई को गोली लगी थी। फॉरेंसिक जांच में स्पष्ट हुआ कि अपराधियों ने विरोधियों को फंसाने के लिए हादसे को हमला बता दिया। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस जांच कर रही है।
कानपुर, जेएनएन। एक महीने पहले जाजमऊ में शादी समारोह में चली गोली हमला नहीं बल्कि हादसा थी। दैनिक जागरण ने जो शक पहले दिन जताया था, वही बात फॉरेंसिक जांच में सामने आ गई। जांच में स्पष्ट हो गया कि अपराधियों ने अपने विरोधियों को फंसाने के लिए हादसे को हमला बना दिया।
25 दिसंबर की रात जाजमऊ के मोती नगर खलवा में आयोजित शादी समारोह के दौरान चली गोली से एक 13 साल का किशोर और शातिर अपराधी आसिफ रैनी का भाई अॢफत रैनी घायल हो गया था। अनवरगंज निवासी अॢफत ने कर्नलगंज निवासी सुभान रैनी, हमजा, सुवालिन और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास में मुकदमा दर्ज कराया था। दैनिक जागरण ने पहले दिन ही इस घटना को संदिग्ध बताया था। डीआइजी ने फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए थे। गुरुवार को फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. पीके श्रीवास्तव ने अपनी जांच रिपोर्ट चकेरी पुलिस को सौंप दी। इंस्पेक्टर चकेरी दधिबल तिवारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट मिल गई है, जिसमें हमले की घटना को फर्जी बताया गया है। असल में यह हर्ष फायरिंग थी। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस जांच कर रही है।
ऐसे पता चला कि फर्जी था हमला
- गोली चलाने वाले या जिसे गोली लगी है, उसके शरीर और कपड़ों में बारूद की पुष्टि एक महीने तक हो जाती है। इसे जीएसआर (गन शॉट रेजिड्यू) टेस्ट कहा जाता है। तीनों नामजद आरोपितों के हाथों का जीएसआर टेस्ट निगेटिव आया। यानी उन्होंने गोली नहीं चलाई थी।
- कथित रूप से गोली लगने से मामूली घायल अॢफत के शरीर और उसकी पैंट का जीएसआर टेस्ट भी निगेटिव रहा। यानी उसे भी गोली नहीं लगी थी।
-गोली एक चली थी, जबकि पैंट में दो सुराख थे।
- फॉरेंसिक विशेषज्ञों के मुताबिक किशोर को लगी गोली का डायरेक्शन ऊपर से नीचे की ओर था और गोली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त थी। यह स्थिति तब आती है, जब गोली किसी कठोर वस्तु से टकराती है। अगर अॢफत को गोली लगने के बाद किशोर को लगी तो यह संभव नहीं, क्योंकि गोली का डायरेक्शन बदल गया। अगर गोली फर्स से टकराई तो उसका कोई सुबूत फॉरेंसिक टीम को नहीं मिला। जांच में एक दीवार पर जीएसआर टेस्ट जरूर पॉजिटिव आ गया। यह वही दीवार थी, जहां पर किशोर खड़ा बताया गया था। फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मत है कि हर्ष फायरिंग में चली गोली दीवार से टकरा वापस लौटकर किशोर को लगी। हादसे को छिपाने के लिए इसे हमले का शक्ल दे दिया गया।