रामदास, सुखदेव और दीपू निषाद माफिया घोषित
माफिया सूची को लेकर उठे विवाद के बाद डीआइजी ने साफ कर दिया कि सूची अंतिम नहीं है।
जागरण संवाददाता, कानपुर: माफिया सूची को लेकर उठे विवाद के बाद डीआइजी ने साफ कर दिया है कि सूची अंतिम नहीं है। नए नाम जुड़ेंगे तो पुराने ऐसे नाम हटाए भी जाएंगे, जिन्हें किसी पेशबंदी में पूर्व में शामिल किया गया था। पहले चक्र में कटरी में दहशत कायम करने वाले रामदास, शातिर सुखदेव और हत्यारोपी दीपू निषाद को माफिया सूची में शामिल करने का फैसला किया गया है।
पुलिस ने सोमवार को 19 भूमाफिया, तीन खनन, 33 शराब, 12 ड्रग्स और सात आपराधिक माफियाओं की लिस्ट जारी की थी। इसमें भू-माफिया की लिस्ट सबसे ज्यादा विवादित हो गई है। सूची में शामिल देव प्रसाद पाठक 75 साल के हो चुके हैं और पिछले लगभग बीस सालों से उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। एडवोकेट संदीप शुक्ला के साथ उनके 68 वर्षीय पिता अंबिका प्रसाद व भाई सुधीर शुक्ला को इस सूची में शामिल किया गया है। पूर्व में जब संदीप का नाम शामिल किया गया था, उस समय पुलिस की गोपनीय जांच में उन्हें क्लीनचिट दी जा चुकी है, क्योंकि संदीप व उनके परिवार ने न तो कोई जमीन खरीदी और न बेची। कैलाश बिहार निवासी दलवीर नेगी और उनके बेटे गजेंद्र नेगी भी खुद को बेकसूर बता रहे हैं।
गजेंद्र के मुताबिक उनके पिता चार साल पहले यूपी छोड़कर उत्तराखंड में जाकर बस चुके हैं। दो पार्टनरों से लेनदेन के विवाद में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ, गैंगस्टर लगा और अब भू-माफिया घोषित कर दिया। जबकि उन्होंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जोकि भू-माफिया की श्रेणी में आता हो। विवाद बढ़ा तो डीआइजी डॉ. प्रीतिदर सिंह ने बुधवार को स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि यह लिस्ट अंतिम नहीं है। रामदास को भू-माफिया, सुखदेव व उजियारीपुरवा में दोहरे हत्याकांड के आरोपित दीपू निषाद को आपराधिक माफिया की श्रेणी में रखा जाएगा। इसकी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। डीआइजी के मुताबिक रामदास के साथियों को भी भू-माफिया की श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
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डीआइजी से मिला वकीलों का प्रतिनिधि मंडल
कानपुर बार एसोसिएशन और लायर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के नेतृत्व में वकीलों का एक प्रतिनिधि मंडल बुधवार को डॉ. प्रीतिदर सिंह से मिला। बार एसोसिएशन के महामंत्री राकेश तिवारी ने डीआइजी को बताया कि एडवोकेट संदीप शुक्ला व सुरेंद्र सिंह का नाम भू-माफिया की सूची में शामिल किया गया है। सुरेंद्र ने बताया कि उनके साथ कोई जमीन संबंधी विवाद नहीं है। वर्ष 2013 के बाद कोई मुकदमा भी उनके खिलाफ नहीं है। संदीप ने बताया कि उन्होंने पप्पू स्मार्ट के कब्जे से संरक्षित राजा ययाति के किले को बचाया था और उन्हें ही भू-माफिया बना दिया गया। आरोप लगाया कि पिटू सेंगर से दोस्ती और पप्पू स्मार्ट से दुश्मनी उन्हें भारी पड़ी। डीआइजी ने दोनों मामले में जांच कर सूची के नाम निकाले जाने का आश्वासन दिया।
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डीआइजी ने महामंत्री से पूछा तो कौन है भू-माफिया
बार एसोसिएशन के महामंत्री राकेश तिवारी से इस दौरान डीआइजी ने विवादित जमीनों के मामलों में वकीलों की मिलीभगत का मुद्दा भी उठाया। डीआइजी ने महामंत्री से पूछा, अगर यह लोग नहीं हैं तो अन्य तो हैं। बार पुलिस की मदद करे, ताकि वकील का चोला ओढे़ भू-माफिया को चिन्हित करके कार्रवाई की जाए।