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12 साल बाद बूढ़े-माता पिता से मिलेगा रामबहादुर, मां और गांव की याद कर आंखों से बहने लगते आंसू

पाकिस्तान की जेल से रिहा होने के बाद अमृतसर पहुंचे बांदा के रामबहादुर को लाने के लिए बबेरु नायब तहसीलदार और थाने के दारोगा ने बातचीत की। अब उसे लेकर ट्रेन से गुरुवार दोपहर तक कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंचेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 02:59 PM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 02:59 PM (IST)
12 साल बाद बूढ़े-माता पिता से मिलेगा रामबहादुर, मां और गांव की याद कर आंखों से बहने लगते आंसू
पाकिस्तान की जेल से 12 साल बाद मिली रामबहादुर को रिहाई।

बांदा, जेएनएन। पाकिस्तान की जेल से रिहाई के बाद अमृतसर तक पहुंचाया गया बांदा का रामबहादुर 12 साल बाद अपने बूढ़े माता-पिता से मिलेगा। बांदा से उसे लेने अमृतसर गए नायब तहसीलदार और दारोगा को सामने देखकर उसकी आंखें नम हो गईं और कहा- मां की बहुत याद आती है...। अमृतसर से टीम उसे लेकर कानपुर के लिए रवाना हो गई है और गुरुवार की दोपहर तक ट्रेन से सेंट्रल स्टेशन पहुंच जाएगी। इसके बाद उसे बांदा लेकर आएगी।

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रामबहादुर को लाने अमृतसर गई टीम

बांदा के ग्राम पचोखर में रहने वाला रामबहादुर फरवरी 2009 में घर से नरैनी बाजार के लिए निकला था, लेकिन अचानक वह लापता हो गया था। जनवरी 2021 में उसके पाकिस्तान की लाहौर जेल में बंद होने की सूचना स्वजन को एलआइयू के माध्यम से मिली थी। बीती 30 अगस्त को पाकिस्तान की जेल से रिहाई होने पर उसे अटारी बार्डर से अमृतसर पहुंचा गया। यहां पर उसे रेडक्रॉस सोसायटी अस्पताल में रखा गया। इसके बाद बांदा बबेरु के नायब तहसीलदार और थाने के दारोगा सुधीर चौरसिया को उसे लाने के लिए अमृतसर भेजा गया है। उन्होंने फोन पर बताया कि पंजाब अमृतसर के तहसीलदार जगदीश सिंह ने कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद रामबहादुर की सुपुर्दगी दे दी है। अब उसे ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना हो चुके हैं, संभवत: गुरुवार की दोपहर तक ट्रेन सेंट्रल स्टेशन पहुंच जाएगी। इसके बाद उसे बांदा के गांव पचोखर पहुंचाया जाएगा।

मां की याद कर नम हो जाती आंखें

अमृतसर के डिप्टी कलेक्टर से मिलने के बाद लगभग 11 बजे रेडक्रॉस सोसायटी अस्पताल के गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 112 पहुंचकर नायब तहसीलदार ने रामबहादुर से आधे घंटे की मुलाकात की। नायब तहसीलदार ने रामबहादुर से बात की उसने कहा कि मां की बहुत याद आती है, मिले हुए बहुत साल हो गए। इतना कहकर उसकी आंख नम हो गईं और आंसू बहने लगते हैं। उसने पाकिस्तान कैसे पहुंचे के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया और ऊपर की ओर देखने लगा। वह बस एक ही रट लगाए रहा, जल्दी से घर ले चलो। रामबहादुर को अपने गांव पचोखर का नाम अच्छी तरह याद है। रामबहादुर पहले गुमसुम बैठा था लेकिन जब लेने आने की बात कही तो वह मुस्कुरा पड़ा और उसके मुंह से निकला, मां से मिलना है, जल्दी घर ले चलो।

रास्ते से लौट आया था भाई : बांदा डीएम आनंद कुमार सिंह ने रामबहादुर को अमृतसर से लाने के लिए नायब तहसीलदार अभिनव तिवारी, दारोगा सुधीर चौरसिया और उसके छोटे भाई मैकू की टीम गठित की थी। अतर्रा से साथ गए मैकू ने बबेरू पहुंचने पर अमृतसर जाने से इन्कार कर दिया था और घर लौट आया था।


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