नम आंखों से शहीद को दी अंतिम विदाई, लोगों ने लगाए पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे
शनिवार की रात 2 बजे गंगधरापुर शहीद पंकज का पार्थिव शरीर आने पर उमड़े लोग।
कन्नौज, जेएनएन। हर आंख नम थी, तो जेहन में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा भी। शनिवार की रात दो बजे जैसे ही शहीद पंकज दुबे का पार्थिव शरीर आया तो लोगों की भीड़ अपने अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। सुबह गांव में सैनिक सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। इस बीच लोग भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे।
आखिरकार मातृभूमि का रक्षक 12 दिनों तक संघर्ष करने के बाद जिंदगी की जंग हार गया। ग्राम गंगधरापुर निवासी शांतिस्वरूप दुबे के 22 वर्षीय पुत्र पंकज दुबे भारतीय सेना की आर्टिलरी कोर में रेडियो ऑपरेटर के पद पर कश्मीर घाटी के तंगधार सेक्टर में तैनात थे। 23 मार्च की सुबह चार बजे के करीब उनके भाई जवाहरलाल दुबे को जेसीओ (जूनियर कमीशंड आफिसर) ने सूचना दी कि रात में चले सर्च ऑपरेशन में पंकज आतंकियों की गोली से घायल हो गए। गोली सिर में लगी थी, उन्हें गंभीर हालत में ऊधमपुर के कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कर ऑपरेशन किया गया था। गुरुवार शाम को पंकज ने अंतिम सांस ली।
अंतिम दर्शन को उमड़े लोग
गंगधरापुर में शनिवार रात दो बजे पंकज का पार्थिव शरीर पहुंचते ही कोहराम मच गया। वृद्ध मां रामकांती, बहन रुचि और दिव्यांग पिता शांतिस्वरूप दुबे का बुरा हाल था। लोग परिजनों को सांत्वना दे रहे थे। घर पर शहीद के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। रविवार सुबह 8 बजे से हनुमान गढ़ी मंदिर तक अंतिम यात्रा निकाली गई। मंदिर के पास सिखलाई रेजीमेंट फतेहगढ़ से नायब सूबेदार जगजीत सिंह के नेतृत्व में आए जवानों ने शहीद को अंतिम सलामी दी। बड़े भाई जवाहरलाल दुबे ने चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों ने भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। चिता जलने के दौरान भी नारे लगते रहे।
पूर्व सैनिकों ने भरा जोश
शहीद की अंत्येष्टि स्थल पर पूर्व जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर वीरेंद्र सिंह तोमर, सैनिक संघ के जिलाध्यक्ष कैप्टन शिवकुमार सिंह चंदेल, सैनिक बोर्ड से कर्नल भूपेंद्र सिंह ने जोश भरा और भारत माता की जय व वंदे मातरम के नारे लगवाए।
दो दिन पहले ही लौटे भाई
शहीद पंकज दुबे के बड़े भाई रामू दुबे ने बताया कि अस्पताल में भर्ती भाई को देखकर दो दिन पहले ही श्रीनगर से लौटे थे। उस समय तक उनकी हालत में सुधार था। शुक्रवार को वह फिर कमांड हॉस्पिटल जाने वाले थे लेकिन गुरुवार को बड़े भाई जवाहरलाल दुबे के मोबाइल पर शहादत की सूचना मिली।
दिसंबर में छुट्टी पर घर आए थे पंकज
पंकज दुबे अगस्त 2015 में कानपुर से सेना में भर्ती हुए थे। मार्च 2017 में उन्हें ट्रेङ्क्षनग पर भेजा गया। नवंबर 2018 में उसकी तैनाती रेडियो आपरेटर के पद पर कश्मीर घाटी के तंगधार इलाके में हुई थी। दिसंबर में वह 55 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे और 31 जनवरी को छुट्टी काटकर वापस गए थे। गोली लगने से एक दिन पहले ही मां और भाई से फोन पर बात की थी।