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Tiddi Dal In UP: टिड्डियाें को कुनबा बढ़ाने में मददगार बनी बारिश, जानें-अभी और कबतक रहेगा असर

छोटे और बड़े चक्रवाती तूफान की वजह से बीच में वर्षा में टिड्डियों को दल बढ़ाने का मौका मिल गया।

By Edited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 01:27 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 01:52 PM (IST)
Tiddi Dal In UP: टिड्डियाें को कुनबा बढ़ाने में मददगार बनी बारिश, जानें-अभी और कबतक रहेगा असर
Tiddi Dal In UP: टिड्डियाें को कुनबा बढ़ाने में मददगार बनी बारिश, जानें-अभी और कबतक रहेगा असर

कानपुर, जेएनएन। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और यहां तक देश की राजधानी में हरियाली को तहस-नहस करने वाली टिड्डियों के लिए पिछले साल लंबे समय तक हुई बारिश मददगार बनी। स्थितियां अनुकूल मिलने पर रेगिस्तानी क्षेत्रों से हजारों किमी का सफर तय कर लगातार आगे बढ़ती जा रही हैं। गंगा और अन्य नदियों के किनारे बलुई और रेतीली मिट्टी होने से टिड्डियों को अंडे देने में मदद मिलती है। इससे कानपुर व आसपास के जिले इनके लिए मुफीद साबित हो रहे हैं। अमूमन टिड्डियां बारिश के मौसम में परिवार बढ़ाती हैं और हरे-भरे क्षेत्रों की ओर बढ़ती हैं। इनका असर जून से अगस्त तक रहता है।

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एक बार में 100 अंडे देती टिड्डी

पिछले साल अफ्रीका, यमन, नाइजीरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जनवरी तक बारिश होती रही। जनवरी और फरवरी में कई छोटे और बड़े चक्रवाती तूफान सक्रिय हुए, जिनकी वजह से बीच-बीच में वर्षा हुई। इसी बीच टिड्डियों को दल बढ़ाने का मौका मिल गया। यह इतनी अधिक हो गई कि एक दल की लंबाई 15 किमी तक पहुंच गई। राजस्थान में नियंत्रण का प्रयास हुआ, लेकिन उन्होंने वहीं रेगिस्तानी क्षेत्र में अंडे दे दिए। अब उन्हीं क्षेत्रों से नए दल आ रहे हैं। एक बार में 100 अंडे दे सकती है टिड्डी चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के प्रो. कृपा शंकर के मुताबिक टिड्डी एक बार में 100 अंडे देती हैं। अंडे से 15 दिन में फुदके निकल आते हैं। जब तक पंख नहीं निकलते हैं, तब तक साथ रहते हैं। पंख आने पर समूह बना लेते हैं।

बारिश और मौसम ठंडा होने पर बढ़ जाती आयु

विभाग के सहायक प्रोफेसर आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश और ठंडा मौसम होने से इनकी आयु बढ़ जाती है। इस वर्ष तापमान कम रहने से मैदानी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। छोटे दल मिलकर बन जाते बड़े कृषि रक्षा अधिकारी आशीष सिंह के मुताबिक अफ्रीका, केन्या, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से कई छोटे बड़े दल राजस्थानी सीमा में प्रवेश कर सकते हैं। यह वहां हवा में उड़ते देखे गए हैं। कई टुकड़ों में बंटने के बाद फिर से मिलकर बड़ा दल बना लेते हैं। रेगिस्तान क्षेत्रों को टिड्डियों का हॉट स्पॉट कहा जाता है। वहां दवाओं का कंसंट्रेटेड फॉर्म में उपयोग होता है, जबकि खेतों में उसे पतला कर डाला जाता है।

चारों दिशाओं से टिड्डियों के निशाने पर कानपुर

कानपुर अब चारों दिशाओं से टिड्डियों के निशाने पर आ गया है। कानपुर देहात, उन्नाव, फर्रुखाबाद, हरदोई व इटावा में टिड्डी दल प्रवेश कर चुके हैं। टिड्डी दल की आहट से हरकत में आया कृषि विभाग अब किसानों और आपदा राहत दल से सूचनाएं एकत्रित कर रहा है। उन्हें सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

शनिवार शाम महोबा, चित्रकूट, जालौन के रास्ते से होता हुआ टिड्डियों का दल कानपुर देहात पहुंचा था, जिस पर रात में ही रसायनों का छिड़काव हुआ और सुबह टिड्डियां तीन दलों में बंट गई। एक बेहद छोटा दल मैथा ब्लॉक की ओर निकल गया, जबकि दूसरा दल चौबेपुर ब्लॉक के तरीपाठकपुर गांव से होता हुआ उन्नाव की ओर चला गया। तीसरा दल चौबेपुर ब्लॉक के राजारामपुर से गंगा नदी पार कर बांगरमऊ के ऊपर से उड़ता हुआ हरदोई की ओर बढ़ गया है। दूसरा दल कभी उन्नाव की ओर चला जाता है तो कभी कानपुर की सीमा में प्रवेश कर जाता है। शाम सात बजे तक हवा में मंडरा रहा है। कृषि रक्षा अधिकारी आशीष सिंह कहना है कि वह क्षेत्र उन्नाव का ही माना जाएगा। इस दल की लंबाई करीब 300 मीटर है।

रात में ही चलेगा अभियान

कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि टिड्डियों के रात्रि प्रवास का पता चलते ही रात में ही अभियान चलाया जाएगा। शासन ने रात 11 से सुबह सात बजे तक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक सोमवार को लखनऊ स्थित कार्यालय से केंद्रीय टीम कानपुर और आसपास के जिलों का हाल जानने के लिए आ सकती है। टीम टिड्डियों को नियंत्रित करने का कार्य करती हैं।


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