रोजाना लाखों का चूना लगा रहे निजी बस संचालक
फजलगंज से विजय नगर चौराहा के बीच जगह-जगह माल भरतीं निजी बसें
जागरण संवाददाता, कानपुर : राज्य की सीमा पार करा निजी बस संचालक माल एवं सेवाकर विभाग को रोजाना लाखों का चूना लगा रहे हैं। इनके बेड़े में इतनी बसें हैं कि कई करोड़ का माल ये मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली भेजते रहते हैं। ये बसें दल्ली से इलेक्ट्रानिक, रेडीमेड गारमेंट भी लादकर लाती हैं। फजलगंज से विजय नगर चौराहे के बीच इनके कर्मचारी दिन भर माल भरते और उतारते दिखते हैं।
इन बसों के ऊपर इतना माल भरा होता है कि आधे से ज्यादा ट्रक भर जाए। इनकी डिग्गी भी इतनी बड़ी होती है कई लोडर का माल तो उसमें ही भर जाता है। यह माल इनके आफिस के अलावा गोदामों में भी पहुंचता है जो आसपास की गलियों में बने हैं। जो माल ई-वे बिल, इनवाइस जारी कर दूसरे राज्यों में पहुंचना चाहिए, उसे ये बस संचालक बिना टैक्स चुकाए पहुंचा देते हैं। कर अपवंचना के इस खेल में कितनी कमाई है, इसका अंदाजा इससे लग सकता है कि अक्टूबर में आरटीओ की एक दर्जन और वाणिज्य कर विभाग की तीन कार्रवाई के बाद भी यह चलता रहता है। यात्रियों को ले जाने के परमिट की आड़ में ये माल दूसरे शहर और राज्यों तक भेज रहे हैं।
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माल परिवहन के लिए ई-वे बिल होता जरूरी
एक ट्रांसपोर्टर को माल अपने वाहन में ले जाने के लिए ई-वे बिल जारी करने के निर्देश हैं क्योंकि किसी भी मोटराइज्ड वाहन से माल जाने पर ई-वे बिल जेनरेट करना ही पड़ता है, लेकिन ये निजी बस संचालक ऐसा कुछ नहीं करते। कारोबारी भी चाहते हैं कि उनका माल बिना वाणिज्य कर या केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर विभाग के अधिकारियों की जानकारी के चला जाए। इससे उनका टैक्स बचता है। ई-वे बिल जारी होने के बाद अधिकारियों की निगाह में आ जाता है कि कौन सा माल जा रहा है और किस वाहन से। संदेह होने पर वह उसे रोक भी सकते हैं।
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वाणिज्य कर विभाग ने अक्टूबर में तीन बसों पर कार्रवाई की थी। बसों को आफिस तक लाकर माल का सत्यापन करा टैक्स व जुर्माना लगाया था। अगर अब भी यह चल रहा है तो फिर कार्रवाई करेंगे।
कमलेश्वर प्रसाद वर्मा, एडीशनल कमिश्नर ग्रेड दो, जोन एक वाणिज्य कर विभाग
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इन बसों को यात्रियों के लिए परमिट दिया गया है। माल ले जाने पर कार्रवाई की जाती है। अक्टूबर में ही एक दर्जन बसों पर जुर्माना किया जा चुका है। अब नियमित जांच के आदेश दिए गए हैं।
राकेश सिंह, आरटीओ प्रवर्तन