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फर्रुखाबाद का यह कबाड़ यूरोपीय देशों में बन जाता घरों की शान

छपाई के बाद खराब हुए लकड़ी का डट्टा एंटीक फर्नीचर, वार्डरोब और छतों में इस्तेमाल किया जा रहा है।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 03:42 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 11:28 AM (IST)
फर्रुखाबाद का यह कबाड़ यूरोपीय देशों में बन जाता घरों की शान
फर्रुखाबाद का यह कबाड़ यूरोपीय देशों में बन जाता घरों की शान
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। चीन कबाड़ को री-साइकिल करके बनाई वस्तुओं को विदेशों में बेच रहा है, लेकिन हमारे यहां का कबाड़ तो सीधे यूरोपीय देशों में पहुंचकर लोगों के घरों की शान बढ़ा रहा है। यह कबाड़ है फर्रुखाबाद जिले में छपाई उद्योग में काम आने वाला लकड़ी का डट्टा (ठप्पा), जो विदेशी परिवारों की पसंद बन गया है। इस कबाड़ यानि लकड़ी का डट्टे को जयपुर, दिल्ली आदि शहरों के माध्यम से विदेश भेजा जा रहा है और मध्यस्थ कारोबारी अच्छी खासी कीमत भी वसूल कर रहे हैं।
ऐसे तैयार होता है डट्टा
छपाई व्यापारी विजय कुमार बताते हैं कि शहर में करीब 50 स्थानों पर डट्टा छपाई होती है। डट्टा को बनाने के लिए शीशम की पक्की लकड़ी का इस्तेमाल होता है। इसकी सतह पर विभिन्न आकर्षक डिजायनों को उकेरा जाता है। उसके बाद इस डट्टे को तेल में डुबोकर मजबूती दी जाती है फिर छपाई की जाती है। साल-दो साल छपाई के बाद यह खराब हो जाते हैं, इसके बाद भी वे व्यापारियों को अच्छी कीमत दे जाते हैं।

जानिए, किस काम आता है डट्टा
फर्रुखाबाद शहर में डट्टा छपाई का काम कई दशक पुराना है। कभी यहां आलू का ठप्पा बनाकर छपाई होती थी, लेकिन बाद में शीशम की लकड़ी पर आकृतियों को उकेरकर कपड़ों की छपाई का डट्टा (ठप्पा) बनाया जाने लगा। साल-दो साल बाद यह डट्टा छपाई के काम का नहीं रहता। बेकार हुए इस डट्टे की विदेशों में काफी डिमांड है। उसे दिल्ली, जयपुर और जोधपुर के रास्ते विदेशों में निर्यात किया जाता है। विदेशों में इसका प्रयोग एंटीक फर्नीचर, वार्डरोब, डायङ्क्षनग टेबल और दीवारों में नक्कासी प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इसके बाद विदेशी परिवार महंगे दामों पर यह फर्नीचर खरीदकर घरों की शान बढ़ाते हैं।
विदेशियों को पसंद आती है कारीगरी
छपाई कारीगर चंद्रपाल वर्मा बताते हैं कि जयपुर, जोधपुर व दिल्ली में एंटीक फर्नीचर बनाने वाले व्यापारी पुराने डट्टों को खरीदते हैं। इसके बाद उसकी डिजायन वाली पर्त उतार कर उसका प्रयोग फर्नीचर आदि में करते हैं। अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, पेरिस आदि यूरोपीय देशों के अलावा सऊदी अरब, कतर आदि खाड़ी देशों में इसको पसंद किया जाता है।

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