प्रधानमंत्री के अरमानों पर फिर रहा पानी, शासन से पीएम आवास स्वीकृत होने के बावजूद विधवा को मयस्सर नहीं छत
सरसौल निवासी लगभग 65 वर्षीय विधवा जोहरा खातून लगभग 30 वर्षों से यहां रह रही हैं। जोहरा के पास अपनी कोई जगह नहीं है। जोहरा क्षेत्र स्थित एक फार्म हाउस में मजदूरी करती है और वहीं मालिक के रहमोकरम पर मिली छोटी सी जगह पर अपना गुजर-बसर कर रही है।
कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2022 तक हर गरीब को पक्की छत देने की बात कह चुके हैं। शासन की ओर से गरीबों को आवास उपलब्ध करा पीएम की पहल को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, लेकिन नर्वल तहसील प्रशासन की लापरवाही से एक विधवा के लिए पिछले दो साल से प्रधानमंत्री आवास योजना छलावा साबित हो रही है। जबकि शासन की ओर से पीएम आवास स्वीकृत कर अगस्त 2018 में आवास की पहली किस्त भी विधवा के खाते में भेजी जा चुकी है। तहसील प्रशासन की ओर से आवास के लिए थोड़ी सी जगह न उपलब्ध करा पाने के चलते गरीब विधवा को एक फार्म हाउस मालिक के रहमोकरम पर जीवन गुजारना पड़ रहा है।
सरसौल निवासी लगभग 65 वर्षीय विधवा जोहरा खातून लगभग 30 वर्षों से यहां रह रही हैं। जोहरा के पास अपनी कोई जगह नहीं है। जोहरा क्षेत्र स्थित एक फार्म हाउस में मजदूरी करती है और वहीं मालिक के रहमोकरम पर मिली छोटी सी जगह पर अपना गुजर-बसर कर रही है। लगभग तीन साल पहले हुए पीएम आवास के सर्वे में जोहरा को योजना के लाभ के लिए चिह्नित किया गया था। शासन से पीएम आवास स्वीकृत होने के बाद जोहरा के बैंक खाते में अगस्त 2018 में आवास की पहली किस्त चालीस हजार रुपये भी भेज दी गई थी, लेकिन नर्वल तहसील प्रशासन आज तक जोहरा को आवास के लिए जगह नहीं उपलब्ध करा पाया।जोहरा पिछले दो साल से शासन की ओर से जारी पीएम आवास की किस्त लिए ब्लाक व तहसील के अधिकारियों के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जबकि ग्राम प्रधान का कहना है कि जोहरा भूमिहीन है।
गांव में दर्जनों बीघे जमीन ग्राम समाज की पड़ी हुई है। यदि तहसील प्रशासन चाहे तो थोड़ी सी जगह का पट्टा कर सकता है। ग्राम पंचायत सचिव राहुल देव मिश्रा ने बताया कि जोहरा के खाते में शासन से पीएम आवास की पहली किस्त जारी हो चुकी है। जगह न मिल पाने के चलते आवास का लाभ गरीब विधवा को नहीं मिल पा रहा है।