डाक लिफाफे से पूरा देश जानेगा बापू और कानपुर का रिश्ता
जागरणÓ की खबर बनी संदर्भ और डाक विभाग ने जारी किया लिफाफा। 102 साल पहले 16 दिसंबर को पहली बार कानपुर आए थे गांधी जी।
By AbhishekEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 11:44 AM (IST)
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। डाक विभाग ने महात्मा गांधी और कानपुर शहर के रिश्तों की याद देशभर में पहुंचाने की पहल की है। बापू के प्रथम कानपुर आगमन के 102 वर्ष पूरे होने पर पहला डाक लिफाफा जारी किया गया। 'मैंने गांधी को देखा है...' समाचार शृंखला प्रकाशित कर 'दैनिक जागरणÓ ने महात्मा गांधी और कानपुर के रिश्ते को सितंबर में पाठकों तक पहुंचाया था, इसे ही बतौर संदर्भ लिफाफे पर प्रकाशित किया गया है।
सात बार कानपुर आए थे बापू
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सात बार कानपुर आए थे। इतिहासकारों की पुस्तकों की धरोहर बन चुके यात्रा वृतांत को खंगालकर 'दैनिक जागरण' ने सितंबर में सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए। इन्हीं में 28 सितंबर को प्रकाशित खबर में उल्लेख था कि गांधीजी पहली बार 16 दिसंबर 1916 को अनजान शख्स की तरह कानपुर आए थे। पुराने कानपुर स्टेशन पर महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी ने उनका स्वागत किया था।
जागरण की खबर के अंश को साभार
मुख्य डाकघर के फिलैटली विभाग ने सराहनीय संजीदगी दिखाई। उस समाचार को बतौर संदर्भ इस्तेमाल करते हुए 16 दिसंबर के विशेष आयोजन की तैयारी शुरू कर दी और बापू के कानपुर आगमन के 102 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष डाक लिफाफा तैयार किया। रविवार को मुख्य डाकघर में प्रवर अधीक्षक नगर प्रखंड प्रियंका गुप्ता ने लिफाफे का अनावरण किया। डाक लिफाफे पर दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अंश को भी साभार प्रकाशित किया गया है। इस पर पुराने रेलवे स्टेशन का दुर्लभ चित्र है। मुख्य पृष्ठ पर बाल गंगाधर तिलक, मोहनदास करमचंद गांधी और गणेश शंकर विद्यार्थी का चित्र है। डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर प्रशासन गजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि लिफाफे की कीमत 20 रुपये है। इस अवसर पर डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर आरएम शाक्य, रामानुज दुबे, उमा टंडन व विपिन कुमार सिंह भी थे।
डाक लिफाफे पर लिखे खबर के अंश
बात 16 दिसंबर 1916 की है, कावनपुर (वर्तमान कानपुर) के पुराने रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों लोगों का हुजूम जमा था। ये सभी लोग बाल गंगाधर तिलक के स्वागत के लिए जमा थे। दोपहर लगभग दो बजे ट्रेन आई। तिलक जी ट्रेन से उतरे तो लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। तभी उसी ट्रेन की पीछे की बोगी से एक नौजवान भी उतरा। ऊंची धोती, लंबा कोट और गुजराती गोल टोपी पहने था। निगाहें किसी को ढूंढ रही थीं। पर किसी का ध्यान उसकी ओर नहीं था। तभी एक शख्स आगे बढ़कर उससे कहता है- वेलकम मिस्टर गांधी...। दक्षिण अफ्रीका से लौटा वह नौजवान मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका स्वागत करने वाला और कोई नहीं, खुद गणेश शंकर विद्यार्थी थे। अनजान गांधीजी, गणेश शंकर विद्यार्थी जी के साथ प्रताप प्रेस पहुंचे। वहीं पर उन्होंने मंत्रणा की एवं रात्रि विश्राम किया। यह अनजान महात्मा गांधी का प्रथम कानपुर आगमन था। इसके चार वर्ष बाद जब वो फिर कानपुर आए तो उनके स्वागत के लिए स्टेशन पर सैकड़ों लोगों का हुजूम जमा था। (साभार : दैनिक जागरण के दिनांक 28 सितंबर 2018 के अंक में प्रकाशित)
सात बार कानपुर आए थे बापू
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सात बार कानपुर आए थे। इतिहासकारों की पुस्तकों की धरोहर बन चुके यात्रा वृतांत को खंगालकर 'दैनिक जागरण' ने सितंबर में सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित किए। इन्हीं में 28 सितंबर को प्रकाशित खबर में उल्लेख था कि गांधीजी पहली बार 16 दिसंबर 1916 को अनजान शख्स की तरह कानपुर आए थे। पुराने कानपुर स्टेशन पर महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी ने उनका स्वागत किया था।
जागरण की खबर के अंश को साभार
मुख्य डाकघर के फिलैटली विभाग ने सराहनीय संजीदगी दिखाई। उस समाचार को बतौर संदर्भ इस्तेमाल करते हुए 16 दिसंबर के विशेष आयोजन की तैयारी शुरू कर दी और बापू के कानपुर आगमन के 102 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष डाक लिफाफा तैयार किया। रविवार को मुख्य डाकघर में प्रवर अधीक्षक नगर प्रखंड प्रियंका गुप्ता ने लिफाफे का अनावरण किया। डाक लिफाफे पर दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अंश को भी साभार प्रकाशित किया गया है। इस पर पुराने रेलवे स्टेशन का दुर्लभ चित्र है। मुख्य पृष्ठ पर बाल गंगाधर तिलक, मोहनदास करमचंद गांधी और गणेश शंकर विद्यार्थी का चित्र है। डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर प्रशासन गजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि लिफाफे की कीमत 20 रुपये है। इस अवसर पर डिप्टी चीफ पोस्ट मास्टर आरएम शाक्य, रामानुज दुबे, उमा टंडन व विपिन कुमार सिंह भी थे।
डाक लिफाफे पर लिखे खबर के अंश
बात 16 दिसंबर 1916 की है, कावनपुर (वर्तमान कानपुर) के पुराने रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों लोगों का हुजूम जमा था। ये सभी लोग बाल गंगाधर तिलक के स्वागत के लिए जमा थे। दोपहर लगभग दो बजे ट्रेन आई। तिलक जी ट्रेन से उतरे तो लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। तभी उसी ट्रेन की पीछे की बोगी से एक नौजवान भी उतरा। ऊंची धोती, लंबा कोट और गुजराती गोल टोपी पहने था। निगाहें किसी को ढूंढ रही थीं। पर किसी का ध्यान उसकी ओर नहीं था। तभी एक शख्स आगे बढ़कर उससे कहता है- वेलकम मिस्टर गांधी...। दक्षिण अफ्रीका से लौटा वह नौजवान मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका स्वागत करने वाला और कोई नहीं, खुद गणेश शंकर विद्यार्थी थे। अनजान गांधीजी, गणेश शंकर विद्यार्थी जी के साथ प्रताप प्रेस पहुंचे। वहीं पर उन्होंने मंत्रणा की एवं रात्रि विश्राम किया। यह अनजान महात्मा गांधी का प्रथम कानपुर आगमन था। इसके चार वर्ष बाद जब वो फिर कानपुर आए तो उनके स्वागत के लिए स्टेशन पर सैकड़ों लोगों का हुजूम जमा था। (साभार : दैनिक जागरण के दिनांक 28 सितंबर 2018 के अंक में प्रकाशित)
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