अगर डिप्रेशन का हो रहे शिकार और घेर रहा चिड़चिड़ापन तो हो सकते हैं लंग्स फाइब्रोसिस के लक्षण
कोरोना के बाद लंग्स फाइब्रोसिस ने पीड़ितों में घर बनाना शुरू कर दिया। जीएसवीएम के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों ने फेफड़ों का हाल जानने के लिए शोध की तैयारी की है। सांस फूलने और सूखी खांसी की समस्या वाले 50 मरीजों का डाटा जुटाया गया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में गंभीर संक्रमण से उबरने वाले मरीज साल भर बाद पोस्ट कोविड समस्याओं में सांस फूलने और सूखी खांसी की समस्या लेकर आ रहे हैं। ऐसे मरीज जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी व इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं। इसकी वजह जानने को शोध की तैयारी की गई है। इसके लिए अब तक 50 मरीजों का रिकार्ड जुटाया गया है, ताकि समस्या की मूल वजह का पता चल सके।
Case-1 : जाजमऊ निवासी 56 वर्षीय राहत खान दूसरी लहर के दौरान अप्रैल 2021 में कोरोना संक्रमण की चपेट में आए थे। मधुमेह से पीड़ित होने की वजह से उनकी स्थिति गंभीर हो गई। एचआरसीटी जांच में सीटी स्कोर 21 आया। वह 15-20 दिन तक आक्सीजन पर रहे, जिसमें छह दिन आइसीयू में भी रहे। कोरोना से उबरने के बाद मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
Case-2 : चमनगंज निवासी 63 वर्षीय शकील अहमद दूसरी लहर में संक्रमित हुए थे। गंभीर संक्रमण होने से उन्हें लंबे समय तक आक्सीजन पर रखा गया था। कोरोना से उबरने के बाद से शकील की सांस फूलती है, जरा सा चलने-फिरने में थक जाते हैं। आराम नहीं मिलने पर मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में तीन माह से इलाज करा रहे हैं।
कोरोना संक्रमण से फेफड़ों में निमोनिया होने से पस पड़ जाता है। संक्रमण के आठ से 10 दिन बाद एंटी फाइब्रोसिस दवाओं से फेफड़ों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। विलंब होने पर फेफड़े के खराब होने वाले हिस्से को ही लंग्स फाइब्रोसिस कहते हैं। इस समस्या से पीड़ित मरीजों की आक्सीजन पर निर्भरता बढ़ जाती है। कोरोना के गंभीर संक्रमितों में यह समस्या सर्वाधिक पाई जा रही है। फेफड़े प्रभावित होने से उन्हें सांस फूलने एवं सूखी खांसी की समस्या हो रही है। शरीर को आक्सीजन कम मिलने से उन्हें थकान, कमजोरी एवं सुस्ती रहती है। जब वह चलते हैं तो उनका आक्सीजन स्तर गिर जाता है। सामान्य स्थिति में यह 90 रहता है, लेकिन चलने पर घट कर 80 तक पहुंच जाता है। इस वजह से उनका दम फूलने लगता है।
डिप्रेशन की हो रही समस्या : लंग्स फाइब्रोसिस से पीड़ित मरीजों को दम फूलने, चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है। शरीर में आक्सीजन का स्तर कम होने और कमजोरी की वजह से मरीज चिड़चिड़े हो जाते हैं। वह घर परिवार में भी एकदम अलग-थलग हो जाते हैं। ऐसे में वह धीरे-धीरे डिप्रेशन में जाने लगते हैं।
-कोरोना की दूसरी लहर के गंभीर संक्रमितों में लंग्स फाइब्रोसिस की समस्या पाई जा रही है। कोरोना से उबरने के बाद सांस फूलने व सूखी खांसी से पीड़ित रहे जिन लोगों ने इलाज नहीं कराया। अब उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगी है। ऐसे मरीज पोस्ट कोविड समस्या के साथ आ रहे हैं। कोविड से फेफड़े में शुरुआती निमोनिया में ध्यान देने से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। विलंब होने पर फेफड़ों में स्थायी क्षति होने से उनकी क्षमता घट रही है। इसके स्थायी समाधान पर अध्ययन करने की तैयारी है। - डा. मनोज कुमार पांडेय, असिस्टेंट प्रोफेसर, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।