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अब पॉलीटेक्निक स्टूडेंट्स को मिलेगा औद्योगिक सुरक्षा का ज्ञान, इंडस्ट्रियल ब्रांच को किया जा रहा है अपग्रेड

आइआरडीटी के निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी का कोर्स श्रम विभाग के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है। इस कोर्स में कई नए अध्याय जोड़े जाने हैं। इस कोर्स को अपग्रेड करने में कुछ समय लग सकता है।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 10:53 AM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 10:53 AM (IST)
अब पॉलीटेक्निक स्टूडेंट्स को मिलेगा औद्योगिक सुरक्षा का ज्ञान, इंडस्ट्रियल ब्रांच को किया जा रहा है अपग्रेड
कानपुर पॉलीटेक्निक की खबर से संबंधित सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। उद्योगों को गति देने के साथ उनकी सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। छोटे-बड़े सभी उद्योगों में इसकी जरूरत होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पॉलीटेक्निक में इंडस्ट्रियल सेफ्टी ब्रांच को अपग्रेड किया जा रहा है। इस ब्रांच में प्रयोगात्मक अध्ययन का दायरा बढ़ाने के साथ उद्योगों की सुरक्षा के लिए जरूरी उपकरण व सिक्योरिटी टीम समेत अन्य विषयों को जोड़ा जा रहा है है। यह कोर्स एक साल का होगा। शोध विकास एवं अनुसंधान संस्थान 'आइआरडीटीÓ पांच और ब्रांचों के विषयों में बदलाव करके समय की मांग के अनुसार इसे अपडेट कर रहा है।

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ऑफिस मैनेजमेंट एंड सेक्रेटेरियल प्रेक्टिस, टूरिज्म एंड ट्रेवल मैनेजमेंट, एडवरटाइजमेंट एंड पब्लिक रिलेशन व कस्टमर सर्विस मैनेजमेंट आदि ब्रांचों के विषयों में बदलाव किए जाने के लिए विशेषज्ञों ने अपने इनपुट दे दिए हैं। सत्र 2021-22 से पॉलीटेक्निक छात्र इन बदले हुए कोर्स के साथ पढ़ाई करेंगे। इन सभी ब्रांच के पाठ्यक्रमों को संशोधित किए जाने के लिए उनकी सूची आइआरडीटी बना रहा है। यह संशोधित पाठ्यक्रम राजकीय, सहायता प्राप्त व प्राइवेट पॉलीटेक्निक इन सभी पर लागू होगा। औद्योगिक सुरक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए देश की बड़ी कंपनियों से सुझाव लिए जा रहे हैं।

श्रम विभाग के साथ मिलकर हो रहा कोर्स डिजाइन: आइआरडीटी के निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी का कोर्स श्रम विभाग के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है। इस कोर्स में कई नए अध्याय जोड़े जाने हैं। इस कोर्स को अपग्रेड करने में कुछ समय लग सकता है।

प्रयोगात्मक अध्ययन का दायरा बढ़ेगा: पॉलीटेक्निक छात्र छात्राओं के प्रयोगात्मक अध्ययन का दायरा बढ़ाया जाएगा। कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल, आइटी, सिविल व इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग समेत सभी ब्रांचों में यह प्रक्रिया लागू की जाएगी। अभी तक प्रयोगात्मक अध्ययन 30 से 35 फीसद हुआ करता था जिसे 50 फीसद किया जा रहा है।


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