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पॉलीटेक्निक प्रधानाचार्यों को लेखा जोखा में किया जाएगा मजबूत,सीखेंगे वित्तीय बारीकियां

प्रदेश की पालीटेक्निक में कार्यरत प्रधानाचार्यों को अब वित्तीय प्रबंधन के काम में भी दक्ष किया जाएगा। प्रधानाचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट ट्रेनिंग एंड रिसर्च में वित्तीय बारीकियां सीखेंगे ऐसा होने से वित्त संबंधित अधिकारियों के छुट्टी में चले जाने पर संस्थान के जरूरी वित्तीय कार्य नहीं रुकेंगे।

By Sarash BajpaiEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 05:17 PM (IST)
पॉलीटेक्निक प्रधानाचार्यों को लेखा जोखा में किया जाएगा मजबूत,सीखेंगे वित्तीय बारीकियां
पॉलीटेक्निक प्रधानाचार्यों को सिखाई जाएंगी वित्तीय कार्य की बारीकियां।

कानपुर, जेएनएन। पॉलीटेक्निक प्रधानाचार्य अब केवल कक्षाओं में पठन पाठन की मॉनीटरिंग करने व प्रशासनिक कार्य तक ही सीमित नहीं रहेंगे। संस्थान के लेखा जोखा से भी उनका सरोकार होगा। इसके लिए उन्हेंं तैयार किया जाएगा। उन्हेंं वित्तीय बारीकियां सिखाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट ट्रेनिंग एंड रिसर्च लखनऊ में उन्हेंं प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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प्रधानाचार्य के अलावा संयुक्त निदेशक व विभागध्यक्ष भी यहां वित्त संबंधित प्रशिक्षण लेंगे। इन्हेंं प्रशिक्षित करने का उद्देश्य यह है कि किसी भी सूरत में जरूरी वित्तीय कार्य न रुकें। कई बार वित्त संबंधित अधिकारी के छुट्टी में चले जाने पर जरूरी वित्तीय काम रुक जाते हैं जिसके चलते उनके विकल्प के रूप में प्रधानाचार्य यह काम देख सकेंगे। इसके अलावा प्रधानाचार्य के छुट्टी पर चले जाने पर कार्यवाहक प्रधानाचार्य और विभागाध्यक्षों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। प्रधानाचार्य के साथ इन दोनों को भी इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण कोर्स में 16 प्रिंसिपल और चार संयुक्त निदेशक को ट्रेनिंग दी जाएगी। वर्ष की शुरुआत में यह इस प्रकार का पहला प्रशिक्षण शिविर है जबकि साल भर में छह से आठ ऐसे शिविर लगाए जाएंगे। साल में सभी 147 सरकारी व 19 सहायता प्राप्त पॉलीटेक्निक को कवर किया जाने का लक्ष्य है। इनमें नियुक्त प्रधानाचार्य के अलावा विभागाध्यक्षकों को भी इसका हिस्सा बनाया जाएगा।

विकसित किया जाएगा नेतृत्व का गुण 

शोध विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि प्रधानाचार्य को वित्तीय कार्य के लिए तैयार करने के अलावा आइआरडीटी कानपुर में भी एक कार्यशाला और संचालित की जाएगी। यह कार्यशाला विभागाध्यक्ष व प्रवक्ताओं के लिए होगी। इस कार्यशाला में उन्हेंं नेतृत्व का गुण विकसित करने के लिए तैयार किया जाएगा। उन्हेंं ऐसे टास्क दिए जाएंगे जिससे उनमें नेतृत्व की क्षमता विकसित हो सके। पहले चरण में 50 विभागाध्यक्षों व प्रवक्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। 


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