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कहीं जलीस स्लीपर सेल सक्रिय करने तो नहीं आया था कानपुर, खुफिया नहीं ढूंढ़ पा रही आतंकी के दोस्त

आतंकी डॉ. जलीस अंसारी अपने दो दोस्तों से ही मिलने के लिए कानपुर आया था।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 11:03 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 11:03 AM (IST)
कहीं जलीस स्लीपर सेल सक्रिय करने तो नहीं आया था कानपुर, खुफिया नहीं ढूंढ़ पा रही आतंकी के दोस्त
कहीं जलीस स्लीपर सेल सक्रिय करने तो नहीं आया था कानपुर, खुफिया नहीं ढूंढ़ पा रही आतंकी के दोस्त

कानपुर, जेएनएन। पैरोल पर अजमेर जेल से छूटकर फरार हुए आतंकी डॉ. जलीस अंसारी कानपुर में रहने वाले दों दोस्तों से मिलने आया था। उसका शहर आने की वजह तो अभी जांच एजेंसियां स्पष्ट नहीं कर सकी है लेकिन शंका है कि कहीं वह स्लीपर सेल सक्रिय करने की फिराक में तो नहीं आया था। उसके पास मिली डायरी और उसमें बम बनाने का तरीका मिलने के बाद किसी गहरी साजिश की आशंका बन गई है। इन सबके बावजूद पुलिस और खुफिया अभी तक उसके दोस्त अब्दुल कय्यूम को नहीं ढूंढ़ सकी हैं।

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मस्जिद के पास से हुई थी गिरफ्तारी

1993 में मुंबई सीरियल बम धमाकों और अजमेर धमाकों में शामिल रहे आतंकी डॉ. मोहम्मद जलीस अंसारी को शुक्रवार दोपहर रेलबाजार के फेथफुलगंज में एक मस्जिद के पास से गिरफ्तार किया गया था। वह 26 दिसंबर को अजमेर जेल से 21 दिन की पैरोल पर छूटकर अपने घर मुंबई गया था। पैरोल अवधि खत्म होने से एक दिन पूर्व 16 जनवरी को मुंबई से फरार हो गया था। एसटीएफ के मुताबिक जलीस कानपुर में अपने दो पुराने साथियों से मदद मांगने आया था। यहां से लखनऊ और फिर संतकबीरनगर होते हुए नेपाल जाना था। एटीएस मुंबई की शनिवार शाम उसे लेकर मुंबई रवाना हो गई लेकिन उसके यूपी कनेक्शन का राजफाश नहीं हुआ है।

नए सिरे से खंगाला जा रहा जलीस का नेटवर्क

पूछताछ में जलीस अंसारी ने कय्यूम और एक अन्य साथी अब्दुल रहमान से मिलने रेलबाजार के फेथफुलगंज आने की जानकारी दी है। यहां आकर उसे पता चला था कि रहमान की मौत हो चुकी है और कय्यूम कहीं बाहर रहता है। रविवार को एसटीएफ ने फेथफुलगंज में कय्यूम के बारे में जानकारी की तो पता चला कि कई साल पहले वह परिवार समेत चला गया था। अब वह कहां है?

इसका पता नहीं चला। कय्यूम के पकड़े जाने के बाद तमाम सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है। वहीं एक संदेह भी बना है कि जलीस कहीं आतंकी वारदातों से जुड़े स्लीपर सेल सक्रिय करने तो नहीं निकला था। खुफिया एजेंसियां उसका नेटवर्क नए सिरे से खंगालने की कोशिश की जा रही है। पैरोल के बाद मुंबई से कानपुर तक वह किन-किन लोगों से मिला, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है।

मस्कट में दुभाषिया था अब्दुल कय्यूम

इलाके के लोगों से पूछताछ में सामने आया कि अब्दुल कय्यूम वर्षों पहले खाड़ी देश मस्कट में दुभाषिया की नौकरी करता था। उसे अंग्र्रेजी, अरबी, फारसी व उर्दू की अच्छी जानकारी है। सूत्रों ने बताया कि 30 वर्ष पूर्व जलीस से कानपुर में जब उसकी मुलाकात हुई थी तब वह मस्कट में नौकरी करता था। खुफिया एजेंसियां इन वर्षों में देश से बाहर गए लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाएंगी, ताकि कय्यूम का पता चल सके।


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