कानपुर की कमिश्नरेट पुलिस को बहुत कुछ सिखा गई पीएम की यात्रा, अब पूरा घटनाक्रम बनेगा प्रशिक्षण का हिस्सा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कानपुर यात्रा कमिश्नरेट पुलिस के लिए चुनौती भले ही रही लेकिन बहुत कुछ सिखा गई आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वीवीआइपी कार्यक्रम के लिए तैयार योजना के प्लान ए का 90 प्रतिशत हिस्सा भी उस दिन लागू नहीं हुआ था।
कानपुर, (गौरव दीक्षित)। PM Narendra Modi Kanpur Visit प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कानपुर यात्रा उनके प्रोटोकाल के हिसाब से ऐतिहासिक रही। ऐसा कम ही होता है जब किसी वीवीआइपी के प्रोटोकाल का प्लान ए लगभग फेल हो जाए। यात्रा में दो बार ऐसा भी हुआ, जब प्लान बी और सी भी काम नहीं आया और ऐसे दौर से गुजरना पड़ा, जिसके बारे में अफसरों ने सोचा तक नहीं था। प्रधानमंत्री का यह दौरा कमिश्नरेट पुलिस के लिए एक ऐसा सबक था, जिसमें वीवीआइपी दौरे को लेकर सीखने के लिए बहुत कुछ था। आगे आने वाले अधिकारियों को इस अनुभव का लाभ मिल सके, इसलिए पुलिस आयुक्त ने प्रधानमंत्री के दौरे में आई समस्याओं और उन्हें हल करने के तरीकों को अपने प्रशिक्षण की पाठशाला में शामिल करने का फैसला लिया है।
प्रोटोकाल के प्लान ए में प्रधानमंत्री को चकेरी एयरपोर्ट से वाया हेलीकाप्टर आइआइटी के दीक्षा समारोह, वहां से वाया कार आइआइटी मेट्रो स्टेशन, मेट्रो का उद्घाटन और मेट्रो से गीता नगर का सफर और गीता नगर स्टेशन से वाया कार सीएसए स्थित हेलीपैड तक पहुंचना था। यहां से प्रधानमंत्री को हेलीकाप्टर से निराला नगर की जनसभा और जनसभा के बाद हेलीकाप्टर से ही चकेरी एयरपोर्ट पहुंचना था। चकेरी एयरपोर्ट से प्रधानमंत्री को विशेष विमान से दिल्ली लौटना था। खराब मौसम को देखते हुए सड़क मार्ग से आवागमन का विकल्प पहले ही तैयार कर लिया गया था। गीता नगर से निराला नगर तक जाने के लिए सड़क मार्ग का विकल्प भी एक नहीं बल्कि दो-दो तय किए गए थे। हालांकि किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि पूरा प्लान बदलना पड़ेगा और पीएम का पूरा दौरा सड़क मार्ग से होगा। अमूमन वीवीआइपी कार्यक्रमों में ऐसा कम देखने को मिलता है, जबकि प्लान ए का 90 प्रतिशत हिस्सा बदलना पड़े।
इस पर तो सोचा ही नहीं था
पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने बताया कि प्रधानमंत्री के लिए आइआइटी में जो कार्यक्रम तय था, उसमें भी ऐन वक्त पर बदलाव करना पड़ा। प्रधानमंत्री तय कक्ष के अलावा दो अन्य हाल में बैठे छात्रों से मिलने के लिए गए। ऐन वक्त पर सुरक्षा प्लान में बदलाव करके उन्हें दोनों हाल ले जाया गया। प्रधानमंत्री का लखनऊ तब सड़क मार्ग से जाना भी किसी प्लान का हिस्सा नहीं था, या ये कहें कि इसके बारे में सोचा तक नहीं गया था। पहले कानपुर में ही रात्रि विश्राम का फैसला लिया गया, लेकिन ये तय नहीं था कि दूसरे दिन सुबह भी आसमान साफ रहेगा, इसलिए उन्हें सड़क मार्ग से लखनऊ ले जाने का फैसला हुआ।
ऐसे मिली सफलता
पुलिस आयुक्त के मुताबिक बदले हुए हालात में सफलता मिली, इसके पीछे बड़ा कारण बेहतर सामंजस्य रहा। पहले पुलिस के पास ऐसे वायरलेस थे, जिनका दायरा सात किमी था, जबकि अब पूरा शहर पुलिस के वायरलेस के दायरे में है। हर कार्यक्रम स्थल पर कंट्रोल रूम बनाकर ऐसी व्यवस्था की गई थी कि पुलिस बल का आनन फानन मूवमेंट कराया जाए। जब प्रधानमंत्री निराला नगर जा रहे थे, उस वक्त सूचना मिली कि टाटमिल के पास 20 से 30 बसों का काफिला सड़क पर है। पुलिस के पास चंद मिनट थे और सड़क खाली करानी थी। डीसीपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने तत्काल फैसला लेते हुए सारी बसों के काफिले को झकरकटी बस स्टैंड में घुसा दिया। यह दर्शाता है कि ऐसे मौकों पर तत्काल सही फैसला लेना कितना जरूरी होता है।
एसपीजी की तर्ज पर बनेगा लोकल प्रोटेक्शन फोर्स
पुलिस आयुक्त ने बताया कि तय हुआ है कि कमिश्नरेट पुलिस एसपीजी की तर्ज पर वीवीआइपी दौरों के लिए लोकल प्रोटेक्शन फोर्स का गठन करेगी, जिसमें 30 अधिकारी और पुलिस कर्मी होंगे, जिन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी।
बोले जिम्मेदार: प्रधानमंत्री का साढ़े चार घंटे का दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है। मैं एसपीजी में ही रहा, लेकिन वीवीआइपी कार्यक्रमों में इस तरह का परिवर्तन कम ही होता है। इस पूरे दौरे की तैयारियां, सबक और बीच में आई अड़चनों व उनका निवारण कैसे हुआ, इसे पुलिस के प्रशिक्षण का हिस्सा बनाने का फैसला लिया है। असीम अरुण, पुलिस आयुक्त