ओलंपिक खेल तलवारबाजी को धार देने में जुटे शहर के खिलाड़ी, इस तरह से खुद को कर रहे तैयार
फूलबाग निवासी शिवशंकर राव की 18 वर्षीय पुत्री अंशिका राव ने महज दो वर्ष के प्रशिक्षण में आगरा व कानपुर प्रदेशस्तरीय तलवारबाजी में कांस्य पदक झटककर असम व दिल्ली में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता का सफर तय किया। वे फाइनल स्पर्धा की खिलाड़ी हैं।
कानपुर, जेएनएन। ओलंपिक खेल तलवारबाजी पहचान बनने को शहर के तीन खिलाड़ी निरंतर अभ्यास कर रहे हैं। कई प्रतियोगिताओं में हुनर की छाप छोड़ चुके बना रहा है। तलवारबाजी खेल को धार देने में अंशिका, हर्ष व अंजू की तिकड़ी जुटीं है। इस तिकड़ी ने प्रदेशस्तरीय व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में छाप छोड़ी। लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद यह तिकड़ी राष्ट्रीय तलवारबाजी प्रतियोगिता की तैयारियों को दुरुस्त करने जुट गई है। फूलबाग निवासी शिवशंकर राव की 18 वर्षीय पुत्री अंशिका राव ने महज दो वर्ष के प्रशिक्षण में आगरा व कानपुर प्रदेशस्तरीय तलवारबाजी में कांस्य पदक झटककर असम व दिल्ली में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता का सफर तय किया। वे फाइनल स्पर्धा की खिलाड़ी हैं।
सीनियर फाइल वर्ग की धुरंधर खिलाड़ी अंजू गुप्ता भी खेल को धार देने में जुटीं हैं। किदवई नगर निवासी रामसकल गुप्ता की 19 पुत्री प्रदेशस्तरीय तलवारबाजी में आगरा में कांस्य व कानपुर में रजत पदक जीत चुकीं हैं। वे असम व महाराष्ट्र में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में डिफेंसिंग के कारण चर्चा में रहीं। बालक वर्ग में प्रेमनगर निवासी मदन मोहन मालवीय के 12 वर्षीय बेटे हर्ष ने छोटी उम्र में ही तीन बार प्रदेशस्तरीय व दो बार नेशनल में चयनित प्रतिभा का प्रदर्शन किया। फाइल वर्ग में हर्ष का डिफेंस व अटैक देखने लायक रहता है।
कोच अंकित दे रहे हुनरमंदों को धार : कोच अंकित कुमार रावत तलवारबाजी खेल को धार देने में जुटें हुए हैं। वे ऑर्डिनेस क्लब कैंट में आर्थिक रूप से कमजोर खिलाडिय़ों को निश्शुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। अंकित तलवारबाजी में राष्ट्रीय खिलाड़ी व एनआइएस कोच हैं। उनका लक्ष्य शहर से ओलंपिक में खिलाड़ी भेजना है।
फाइल, एपी व सेवर तलवारबाजी के तीन प्रमुख वर्ग : सेवर वर्ग को मुख्यता प्राचीन तलवारबाजी की तर्ज पर खेला जाता। इसमें टारगेट एरिया कमर के ऊपर से सिर तक होता। फाइल वर्ग में टारगेट एरिया कमर से ऊपर व गर्दन से नीचे तक होता है। इसमें हाथ पर प्रहार का प्वाइंट नहीं होता। एपी वर्ग में सिर से लेकर जूते तक का क्षेत्र पर प्रहार का अंक मिलता। इन तीनों विधा में इलेक्ट्रानिक जैकेट का उपयोग होता। जिसमें टच होते ही डिस्प्ले पर अंक मिलते।