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सात साल में ढाई कदम भी नहीं चल सकी कानपुर में नई जेल निर्माण की योजना, 4 साल भूमि अधिग्रहण में बीते

नई जेल के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की कछुआ चाल जारी है।सात साल पहले बनी नई जेल की योजना के तहत चार साल से सिर्फ भूमि अधिग्रहण ही हो रहा है वो भी पूरा नहीं हो सका है। वर्तमान जेल में क्षमता से ज्यादा बंदियों को रखा गया है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 05:02 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 05:02 PM (IST)
सात साल में ढाई कदम भी नहीं चल सकी कानपुर में नई जेल निर्माण की योजना, 4 साल भूमि अधिग्रहण में बीते
कानपुर में नई जेल की योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है।

कानपुर, संवाददाता। सरसौल के हाथीगांव, सरसौल और फुफुआर सुइथोक गांव की 55 हेक्टेयर भूमि पर पांच हजार बंदियों की क्षमता वाली जेल बनाने की योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है। 35 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। करीब पांच प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण नहीं होने से प्रोजेक्ट अटका पड़ा है। अधिग्रहण की कछुआ चाल से प्रोजेक्ट मूर्त रूप नहीं ले पा रहा। वहीं, सिविल लाइंस स्थित जिला कारागार में 16 सौ की क्षमता के बावजूद 29 सौ से अधिक बंदी रखे जा रहे हैं। 

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सात साल पहले मंडलायुक्त की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति ने 55 हेक्टेयर में पांच हजार बंदियों की क्षमता वाली नई जेल बनाने की योजना बनाई थी। इसके तहत, तय हुआ कि वर्तमान जेल भवन को म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया जाएगा, क्योंकि यह भूमि गंगा तट पर दो सौ मीटर के दायरे में है। ऐसे में कोई नया निर्माण वहां नहीं हो सकता। योजना के मुताबिक ही डीएम ने ग्राम समाज की 20 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध करा दी और किसानों के भूमि का अधिग्रहण करने के लिए अधिसूचना जारी हुई। चार साल से भूमि अधिग्रहण हो रहा है, लेकिन अभी भी पूरा नहीं हुआ है। अब तो चुनाव का दौर चल रहा है ऐसे में अधिकारी चुनाव कराने में जुट गए हैं। 

मुआवजा बांटने और बैनामे कार्य फिलहाल होने से रहा। वर्तमान जेल में बंदी रह रहे हैं उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वहां क्षमता से बहुत ज्यादा बंदी हैं। नई जेल में सेंट्रल जेल की तरह ही कौशल विकास केंद्र भी खोला जाना था ताकि वहां बंदियों को फर्नीचर, खिलौने आदि बनाने का हुनर सिखाया जा सके, लेकिन फिलहाल यह प्रोजेक्ट सपना ही लग रहा है। भूमि अधिग्रहण हो भी जाता है तो डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने, कार्यदायी संस्था तय करने में ही महीनों लग जाएंगे।


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