पिंटू सेंगर हत्याकांड : अपने ही खेल में फंसी पुलिस, गुनाह कबूला, कॉल डिटेल है तो फिर नाम क्यों हटाए
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत ने पूर्व के साक्ष्य देख 169 की रिपोर्ट खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि जब अभियुक्तों के बयान और कॉल डिटेल से मनोज व वीरेंद्र के नाम सामने आए हैं तो इन्हें राहत क्यों मिले।
कानपुर, जेएनएन। बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में पुलिस अपने ही खेल में फंस गई। दरअसल पुलिस ने पहले कई पर्चे काटे जिसमें आरोपितों की कॉल डिटेल और स्वीकारोक्ति को आधार बनाया था। अदालत ने इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर उन्हें गुनहगार माना और नाम हटाने से इन्कार कर दिया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिंताराम की अदालत ने पूर्व के साक्ष्य देख 169 की रिपोर्ट खारिज कर कहा कि पर्चा नंबर आठ में पुलिस का दावा है किपप्पू स्मार्ट ने कबूला कि मनोज गुप्ता, श्याम सुशील मिश्रा, वीरेंद्र पाल, सऊद अख्तर और सुभानअल्ला को धोखा देकर पिंटू ने उनकी संपत्तियां हड़प लीं तो सभी ने हत्या की साजिश रची।
पर्चा नंबर 17 में पुलिस ने पप्पू स्मार्ट, सऊद अख्तर, तौसीफ हैदर सैफी, उत्सव गुप्ता व मनोज गुप्ता की कॉल डिटेल से उनकी बातचीत की पुष्टि हुई है। पर्चा नंबर 49 में पुलिस ने बीनू उपाध्याय, अरिदमन सिंह, मनोज गुप्ता, वीरेंद्र पाल के खिलाफ साक्ष्य न मिलने का दावा कर फाइनल रिपोर्ट लगाई है। अदालत ने कहा कि जब अभियुक्तों के बयान और कॉल डिटेल से मनोज व वीरेंद्र के नाम सामने आए हैं तो इन्हें राहत क्यों मिले।
लेनदेन के आरोप लगे
दो मुख्य अभियुक्तों के नाम हटाकर पुलिस फंस गई है। अदालत ने सवाल खड़े किए।, वहीं पिंटू की बेटी अपर्णा सेंगर का आरोप है कि करोड़ों का लेनदेन कर नाम हटाए गए। उनका कहना है कि पुलिस पहले भी सुभानअल्ला और सऊद अख्तर के नाम निकाल चुकी थी जबकि कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने बयान दिया कि मनोज गुप्ता ने उनसे कहा था कि जल्द ही वह ङ्क्षपटू सेंगर को रास्ते से हटा देगा। मगर, उनसे बयान नहीं लिए गए।
अफसरों की कॉल डिटेल की जांच हो
पिंटू के भाई और मुकदमे के वादी धर्मेंद्र सिंह सेंगर का आरोप है कि पुलिस ने रुपये लेकर नाम निकाले। जांच टीम में शामिल अफसरों के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली जाए। आरोपितों से पुलिस की साठगांठ सामने आ जाएगी। उन्होंने बताया कि पर्चा नंबर-24 में पूर्व विवेचक आरके गुप्ता ने महफूज अख्तर को क्लीनचिट दी है। देखा जाए कि क्या उन्होंने महफूज के घर दबिश दी। उनकी कॉल डिटेल जांची जाए।
वीरेंद्र पाल व मनोज से विवाद
गिरफ्तारी के समय एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल ने बताया गया था कि पिंटू सेंगर की स्नेहा डेवलपर फर्म में पिंटू की पत्नी नीलम सेंगर, वीरेंद्र पाल और सिपाही श्याम सुशील मिश्रा की पत्नी निशा और साजू मैथ्यू पार्टनर थे। कंपनी का ज्वाइंट अकाउंट था, जिसमें 60 लाख रुपये जमा थे। वीरेंद्र व निशा ने फर्म के नाम फर्जी अकाउंट खोलकर 60 लाख रुपये हड़प लिए और उसी से कोयला नगर में जमीन लेकर मिश्रा सिपाही और मनोज गुप्ता संग प्लाटिंग करने लगा।
मामला सामने आया तो पिंटू पुराना हिसाब व 60 लाख रुपये वापसी का दबाव बनाने लगे। बातचीत के बाद 1.20 करोड़ रुपये देने का वादा किया लेकिन पैसा न देना पड़े, इसीलिए वीरेंद्र पाल और सिपाही श्याम सुशील साजिश में शामिल हुए। वहीं मनोज से भी पिंटू का जमीन का विवाद था।