Pintu Sengar Murder Case: कोर्ट ने दोनों पक्षाें की लंबी बहस सुनने के बाद खारिज की सावेज की जमानत
बसपा नेता पिंटू सेंगर की 20 जून 2020 को सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रेश सिंह के घर के बाहर बाइक सवार शॉर्प शूटरों ने ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने 13 आरोपितों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
कानपुर, जेएनएन। पिंटू सेंगर हत्याकांड में शूटर सावेज उर्फ हैदर सैफी की जमानत अर्जी विशेष न्यायाधीश एससीएसटी डॉ. कपिला राघव ने खारिज कर दी। जबकि, दूसरे आरोपित श्याम सुशील मिश्रा के मामले में सुनवाई के लिए 19 नवंबर की तारीख दी गई है। पिंटू सेंगर की हत्या में चार आरोपितों की जमानत पर मंगलवार को विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
बचाव पक्ष नहीं पेश कर सका पर्याप्त आधार
अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित के मुताबिक आरोपित सावेज के अधिवक्ता की ओर से जमानत देने की अपील करते हुए कहा गया कि वह घटना के वक्त लखनऊ दवा लेने गया था। इसके विरोध में अभियोजन की ओर से तर्क दिया गया कि घातक हथियारों से लैस होकर उसने विधि विरुद्ध जमाव किया। डीजीसी क्रिमिनल दिलीप कुमार अवस्थी ने बताया कि न्यायालय ने पर्याप्त आधार न पाते हुए जमानत निरस्त कर दी।
यह हुआ था मामला
20 जून 2020 को बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या कर दी गई थी। वह सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रेश सिंह के घर गए थे और गाड़ी से उतरने के बाद वह फोन पर किसी से बात करके आगे बढ़ रहे थे। इस बीच मोटर साइिकलों पर सवार चार बदमाश आए थे और उनपर ताबड़तोड़ गोलियां चलाने के बाद फरार हो गए थे। मामले में पुलिस ने तहरीर के आधार पर मनोज गुप्ता, पप्पू स्मार्ट, सऊद अख्तर, सऊद अख्तर के भाई महफूज अख्तर के अलावा मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे अधिवक्ता अरिदमन सिंह व बीनू उपाध्याय को आरोपित किया था।
पुलिस ने आरोपित अधिवक्ताओं को दी थी क्लीन चिट
पुलिस ने जांच के बाद आरोपित दोनों अधिवक्ताओं काे क्लीन चिट देते हुए पप्पू स्मार्ट, सऊद अख्तर, मनोज गुप्ता, वीरेंद्र पाल, उन्नाव में तैनात सिपाही श्याम सुशील मिश्रा, तौसीफ उर्फ कुक्कू आदि द्वारा 40 लाख रुपये में सुपारी देकर पिंटू की हत्या करवाने और भूमि विवाद को कारण बताया था। इसके बाद 13 आरोपितों गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
चार्जशीट से हटा दिए थे इनके नाम
पुलिस ने अदालत में दाखिल चार्जशीट में मुख्य आरोपितों मनोज गुप्ता व वीरेंद्र पाल के नाम हटाते हुए 11 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके अलावा पुलिस ने साक्ष्य होते हुए भी नामजद अभियुक्तों में शामिल महफूज अख्तर का नाम भी बाहर कर दिया था। अदालत की नाराजगी के बाद पुलिस ने दोबारा पूरक चार्जशीट में महफूज का नाम जोड़ा था। बाद में पुलिस को चकमा देकर महफूज और उसके भाई ने सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।
जमानत के लिए बचाव पक्ष ने रखी ये बात
कोर्ट में जमानत याचिका की सुनवाई में बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि श्याम सुशील मिश्रा का हत्या में कोई हाथ नहीं है और न ही वह नामजद है। इसके विरोध में अभियोजन ने दलील दी कि अपराधियों को भगाने में श्याम की गाड़ी का प्रयोग हुआ था। गिरफ्तारी भी अपराधियों के साथ हुई थी। सावेज के अधिवक्ता ने कहा कि मुवक्किल घटना के वक्त बाहर इलाज करा रहा था, उसे फंसाया गया है। अभियोजन ने तर्क दिया कि सावेज के पास से बरामद असलहे से ही हत्या हुई है। सावेज पर शूटरों की व्यवस्था करने का आरोप है।