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Pintu Sengar Murder Case: पुलिस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में चौंकाने वाले तथ्य, सामने आया हत्या का मोटिव

कानपुर में बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या के बाद अदालत में दाखिल चार्जशीट में फजीहत का सामाना कर चुकी पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कोई बिंदु छोड़ा नहीं है। पुलिस ने आरोपित मनोज गुप्ता और वीरेंद्र पाल के खिलाफ हत्या का उद्​देश्य तय कर दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 08:23 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 08:23 AM (IST)
Pintu Sengar Murder Case: पुलिस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में चौंकाने वाले तथ्य, सामने आया हत्या का मोटिव
कानपुर में पिंटू सेंगर हत्याकांड खासा सुर्खियों में रहा था।

कानपुर, जेएनएन। बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पुलिस ने इस बार कई चौकाने वाले तथ्य शामिल किए हैं। सात साल पहले पुलिस ने जिस मामले में शांतिभंग की आशंका में चालान करके मामला रफादफा कर दिया था, उसके पीडि़त ने दावा किया है कि उसका अपहरण किया गया था। सप्लीमेंटी चार्जशीट में चकेरी पुलिस ने मनोज गुप्ता और वीरेंद्र पाल के खिलाफ जो साक्ष्य जुटाए हैं, उसमें सबसे प्रमुख है हत्या का मोटिव।

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पुलिस ने मनोज गुप्ता पर जमीन के लिए हत्या कराने और वीरेंद्र पाल को कंपनी में धोखाधड़ी करने के साक्ष्यों के आधार पर आरोपित बनाया है। सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पुलिस ने मनोज गुप्ता और पिंटू सेंगर के बीच जमीनी विवाद सिद्ध करने के लिए विवादित जमीन के स्वामी नितेश कनौजिया व उसके भाई अंकित कनौजिया के बयान दर्ज किए हैं। अपने बयान में नितेश ने कहा है कि मनोज गुप्ता और उसने वर्ष 2011 में एक जमीन खरीदी थी। केवल 30 फीसद पैसा मनोज गुप्ता ने लगाया था। वर्ष 2013 में जरूरत पडऩे पर उसने जमीन बेचने के लिए मनोज गुप्ता से कहा, मगर उस वक्त मनोज का अडानी नाम के किसी कारोबारी से विवाद चल रहा था और वह फरार रहता था। ऐसे में पिंटू सेंगर ने अपने करीबी रमेश कोरी के नाम से जमीन खरीद ली। इसके बाद से मनोज जमीन वापस देने के लिए पिंटू और नितेश पर दबाव बनाने लगा।

26 सितंबर 2013 को मनोज गुप्ता व पप्पू स्मार्ट ने मिलकर मुरे कंपनी पुल के नीचे से नितेश का अपहरण कर लिया। ङ्क्षबदकी ले जाकर बंद कर दिया गया और मारपीट की गई। हालांकि भाई अंकित ने 100 नंबर पर फोन करके अपहरण की सूचना दी तो पुलिस सक्रिय हुई, जिसके बाद उसे रिहा कर दिया गया। पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि तत्कालीन हरबंश मोहाल पुलिस ने अपहरण के इस मामले में उसका उसके भाई अंकित व मनोज गुप्ता का शांतिभंग में चालान कर दिया। इसके बाद मनोज गुप्ता ने इसी मामले को लेकर 29 जनवरी 2020 को भी उससे मारपीट की।

सप्लीमेंटी चार्जशीट में भी नहीं लगाई मनोज व वीरेंद्र की सीडीआर

चकेरी पुलिस ने सप्लीमेंटी चार्जशीट 377 पन्नों की लगाई है। खास बात यह है कि इसमें ही तमाम अभियुक्तों के मोबाइल सीडीआर लगाए गए हैं, मगर इस बार भी मुख्य अभियुक्त मनोज गुप्ता व वीरेंद्र पाल के मोबाइल सीडीआर नहीं लगाए हैं। वीरेंद्र पाल ने की धोखाधड़ी पुलिस ने ङ्क्षपटू सेंगर और वीरेंद्र पाल के बीच स्नेहा डेवलपर्स में हुई गड़बड़ी को लेकर विवाद बताया है। इसके लिए स्नेहा डेवलपर्स के एक अन्य पार्टनर स्याजू पाराथिनाल का बयान दर्ज कराया गया है। स्याजू के मुताबिक कंपनी में वीरेंद्र पाल ने 1.20 करोड़ रुपये का घपला किया था और इसकी वजह से ही ङ्क्षपटू सेंगर से उसका विवाद चल रहा था।


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