कानपुर में जीएसटी के दायरे में पेट्रोल डीजल न लाने पर विरोध शुरू, कांग्रेस मुद्दा बनाने की कर रही तैयारी
पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का निर्णय केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकारों पर डाल दिया है। लखनऊ में शुक्रवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इसे जीएसटी में लाने पर विचार करने को कहा।
कानपुर, जेएनएन। चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों को मुद्दा चाहिए।केंद्र सरकार ने जीएसटी के दायरे में पेट्रोल डीजल लाने की बात शुरू कर यह मुद्दा विपक्षियों को दे दिया है।अब कांग्रेस भी इसे जनहित से जोड़कर आंदोलन करने की तैयारी कर रही है।प्रदेश सरकार के पेट्रोल डीजल को जीएसटी दायरे में शामिल न करने के निर्णय के बाद कांग्रेस खेमे में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का निर्णय केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकारों पर डाल दिया है। लखनऊ में शुक्रवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इसे जीएसटी में लाने पर विचार करने को कहा। शहर कांग्रेस कमेटी के दक्षिण जिलाध्यक्ष डा. शैलेंद्र दीक्षित बताते हैं प्रदेश सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।यदि प्रदेश सरकार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाती है तो अनुमान के मुताबिक कीमत में 25 से 30 रुपये प्रति लीटर की कमी आएगी।इससे जहां महंगाई कम होगी वहीं कोविड की मार से जूझ रहे आम आदमी को भी राहत मिलेगी।पेट्रोल डीजल अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं ऐसे में एक साथ 30 रुपये की कमी से काफी असर पड़ेगा।बता दें कोविड संक्रमण से कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहे राज्य पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमत नहीं हैं।प्रदेश सरकारों का मानना है कि पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से अर्थव्यवस्था पर बड़ा बोझ पड़ेगा।बहरहाल कांग्रेस अब इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है।उत्तर जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी कहते हैं कि आम जनमानस को राहत पहुंचाने वाले केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर प्रदेश सरकार को तत्काल हामी भरनी चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी।